Time Management Book Summary Hindi

"Time Management" किताब यह समझाती है कि असल में हमारे पास समय की कमी नहीं है बल्कि हम एक साथ बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं। इसी जल्दबाज़ी में हम काम की गुणवत्ता खो देते हैं, और वही कार्य बाद में और अधिक समय ले लेता है।

डॉ. सुधीर दीक्षित द्वारा लिखित "टाइम मैनेजमेंट" पुस्तक हमें समय के बेहतर उपयोग की दिशा में प्रेरित करती है। लेखक बताते हैं कि सफलता और असफलता, दोनों का सीधा संबंध इस बात से है कि हम अपने समय को कितना समझदारी से मैनेज करते हैं।

पहले के समय में लोग अपने पूर्वनिर्धारित कार्यों पर टिके रहते थे, लेकिन आज हम जाने-अनजाने में समय की अहमियत को नजरअंदाज़ करने लगे हैं। यह बदलाव क्यों आया है, और इससे निपटने के उपाय क्या हो सकते हैं, यही इस किताब का मूल उद्देश्य है।

यह पुस्तक कोई "शॉर्टकट फार्मूला" नहीं देती जिसे अपनाकर कोई चमत्कार हो जाए और वास्तव में ऐसा कोई फार्मूला होता भी नहीं। लेकिन यदि आप इस पुस्तक की हर बात नहीं तो कम-से-कम एक बात को गंभीरता से अपनाएं, तो आप अपने जीवन में दैनिक बदलाव महसूस कर सकते हैं।

Time Management Book Summary Hindi
Time Management Book Summary

समय की योजना और निगरानी

1-समय की डायरी बनाना

अपने समय की सही तस्वीर देखने के लिए एक सप्ताह की समय डायरी तैयार करें। इसमें यह लिखें कि दिन भर में आपने किन गतिविधियों में कितना समय खर्च किया।

इस डायरी को सप्ताह के अंत में इस सोच के साथ एनालिसिस करना है:

  • कौन-से कार्य वाकई ज़रूरी थे?
  • किन कामों से समय की बर्बादी हुई?
  • किन चीज़ों को छोड़ा जा सकता है?

समस्या यह नहीं कि हमारे पास समय नहीं है, बल्कि यह कि हमें पता ही नहीं चलता कि समय कहाँ जा रहा है। डायरी रखने से हम समय की अनजानी खपत को पहचान सकते है।

2-टाइम टेबल बनाना

जब हम अपने दिन की पहले से योजना बनाते हैं, तो दिन नियंत्रण में रहता है। टाइम टेबल दो तरीकों से बनाया जा सकता है:

पूर्ण टाइम टेबल: पूरे 24 घंटे की योजना, जैसे नींद, भोजन, कार्य, व्यायाम, आदि।

संक्षिप्त टाइम टेबल: केवल कार्य समय या उत्पादक घंटों की योजना बनाना।

यह तय करें कि कौन-सा तरीका हमारे लिए अधिक व्यवहारिक है। कोई भी हो, लक्ष्य एक ही है: महत्वपूर्ण कार्य आज ही पूरे करें।

3-प्राइम टाइम की खोज

दिन के 24 घंटे समान नहीं होते। हर इंसान का एक समय ऐसा होता है जब उसकी ऊर्जा, ध्यान और रचनात्मकता सबसे अधिक होती है यही उसका प्राइम टाइम होता है।

यह सुबह हो सकता है, दोपहर में या देर रात।इसे पहचानना जरूरी है ताकि उसी समय हम अपने सबसे महत्वपूर्ण काम कर सकें।

प्राइम टाइम को बर्बाद न करें छोटे-मोटे कामों में, जिन्हें बाकी समय में भी किया जा सकता है। जब आपका मन और शरीर उच्चतम स्तर पर हो, तो उसे साधारण कार्यों में न गवाएं।

लक्ष्य निर्धारण और प्राथमिकता

1-स्पष्ट आर्थिक लक्ष्य बनाना

हम अक्सर अपने जीवन में सामान्य लक्ष्य बनाते हैं जैसे "अब मेहनत ज़्यादा करूंगा," या "अपनी कुशलता बढ़ाऊंगा।" परंतु सामान्य लक्ष्य अस्पष्ट होते हैं, इन्हें न तो मापा जा सकता है, न ही उनके पूरे होने का कोई निश्चित मानक होता है।

स्पष्ट लक्ष्य हमेशा मापनीय होते हैं, जैसे:

  • "मैं हर दिन 8 घंटे पढ़ाई करूंगा।"
  • "मैं इस महीने ₹20,000 कमाऊंगा।"
  • "मैं अगले तीन महीनों में सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग का कोर्स पूरा करूंगा।"

सटीक और मापने योग्य लक्ष्यों के बिना, समय का सही उपयोग संभव नहीं है।

2-सबसे महत्वपूर्ण काम पहले करना

"मूर्ख व्यक्ति जो काम अंत में करता है, बुद्धिमान उसे तुरंत कर लेता है।"

अधिकांश लोग दिन का समय कम महत्व के कार्यों में बर्बाद कर देते हैं और जरूरी काम टालते जाते हैं। यही कारण है कि कई बड़े लक्ष्य कभी पूरे नहीं होते।हमें यह समझना होगा कि

  • सभी काम समान नहीं होते।
  • हर दिन कुछ कार्य ज़रूरी और कुछ केवल व्यस्तता पैदा करने वाले होते हैं।

दिन की शुरुआत सबसे महत्वपूर्ण कार्य से करें, वही कार्य जो हमें अपने लक्ष्य के करीब ले जाता है।

3-परिणाम का महत्व

उदाहरण के लिए, कर्मचारी अक्सर महसूस करते हैं कि वे 8 घंटे काम करते हैं इसलिए उनकी तनख्वाह बढ़ानी चाहिए।

दूसरी ओर कंपनी के मालिक सोचते हैं कि इस आदमी ने ₹5000 का काम किया है और इसे ₹8000 तनख्वाह पहले से मिल रही है इसलिए इसकी तनख्वाह बढ़ाने की जरूरत नहीं है, इसके बजाय अगर संभव हो तो उसकी तनख्वाह कम कर देनी चाहिए या उसे नौकरी से निकाल देना चाहिए।

कर्मचारी के लिए महत्वपूर्ण पैमाना यह है कि उसने कितने समय काम किया जबकि कंपनी के मालिक के लिए महत्वपूर्ण पैमाना यह है कि उसने कितना मूल्यवान परिणाम दिया।

आदतें और दिनचर्या

सुबह का लाभ लेना

कई लोग कहते हैं कि “रात को बेहतर काम होता है,” लेखक का मानना है कि हो सकता है यह सच हो, पर अनुभव यह बताते है कि सुबह का समय हर लिहाज़ से फायदेमंद होता है।

सुबह 5 बजे की शांति, ठंडी हवा और तरोताज़ा दिमाग ये सभी मिलकर काम की गति और गुणवत्ता दोनों को बढ़ा देते हैं। सुबह का एक घंटा हमारी पूरी दिनचर्या की दिशा बदल सकता है।

हर दिन व्यायाम करना

हमें हर दिन एक घंटा सुबह अपने लिए निकालना होगा। लेखक का मानना है कि 23 घंटे इस शरीर से हम दूसरों के लिए काम करते है तो क्या हम 1 अपने शरीर, अपने स्वास्थ्य और सौंदर्य की देखभाल करने के लिए नहीं दे सकते है।

निश्चित कार्य निश्चित समय पर करना

हमारे शरीर में एक घड़ी होती है जिसे बायोलॉजिकल क्लॉक कहा जाता है।

जब हम निश्चित समय पर काम करने की आदत डाल लेते हैं तो हमारा शरीर उसी अनुसार ढल जाता है।

उदाहरण के लिए, हम हर दिन दोपहर 1:30 पर खाना खाते हैं तो हमें उस समय अपने आप भूख लगने लगेगी।

हर महत्वपूर्ण काम के लिए, एक निश्चित समय तय करने से, हम शारीरिक और मानसिक रूप से उस कार्य के लिए पूरी तरह तैयार रहते हैं।

कार्य निष्पादन और एक्शन लेना

कार्य को शुरू करना

हम सभी जानते हैं कि बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता, फिर भी काम को टालना हमारी आदत बन जाती है।

मूड का बहाना, समय की कमी, या परफेक्ट माहौल का इंतज़ार – ये सब हमें सिर्फ काम से दूर रखते हैं।

जब तक हम शुरुआत नहीं करेंगे, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। काम शुरू कीजिए, बाकी चीजें रास्ते में सुलझती जाएंगी।

यदि हमें सफलता की चाह है तो कर्म में जुटना होगा और तब तक जुटे रहना होगा, जब तक कि हम सफल न हो जाए।

कार्य क्षमता बढ़ाना

हर दिन थोड़ा और बेहतर बनने की कोशिश करें। इसके लिए चाहिए:

  • निरंतर सीखना – पढ़ना, कोर्स करना, सीनियर्स से बात करना।
  • प्रैक्टिस करना – रोज़ अभ्यास ही हमें पारंगत बनाता है।
  • सही लोगों से तुलना करना – खुद से बेहतर लोगों से सीखिए, लेकिन सबसे बेहतर तुलना खुद से कीजिए – "क्या आज मैं कल से बेहतर हूँ?"

काम की गुणवत्ता बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है – खुद को लगातार बेहतर बनाना।

डेडलाइन तय करना

अगर किसी दूसरे की डेडलाइन नहीं है तो बेहतर यही है कि हम खुद ही अपने कार्यों की डेडलाइन तय करें। शुरुआत में हमें परेशानी होगी और समय के साथ हम डेडलाइन के भीतर या उससे पहले, अपना कार्य पूरा करने की आदत बना लेते है।

कुछ लोग यह मानते हैं कि डेडलाइन से काम की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है।

उनकी भी बात सही है और यह तभी सही होगी, जब आखिरी मिनट पर काम शुरू किया जाए।

दूसरी ओर अगर डेडलाइन के आधार पर पहले से ही योजना बना ली जाए तो काम की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आएगी।

कार्यों का विभाजन और सौंपना

काम सौंपना सीखना

दूसरों की योग्यता, बुद्धि, क्षमता और निष्ठा पर भरोसा करना आसान नहीं होता, और बड़ी सफलता हासिल करने के लिए ऐसा करना भी जरूरी होता है।

काम सौंपने की कला में निपुण होने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है: पहली, यह पता लगाना कि कौन से काम सौंपे जा सकते हैं और दूसरी, किसको।

बस इतनी सावधानी बरतें कि अती महत्वपूर्ण काम दूसरों को सौंपने के बजाय खुद करें।

समय खरीदना

यदि हम समय के बजाय पैसे बचाने की ज्यादा कोशिश करते हैं तो इसका मतलब है कि हम अपने समय को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं।

दूसरी ओर जो लोग समय को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं, वे समय बढ़ाने का हर संभव प्रयास करते हैं एक तरह से कहा जाए तो वे समय को खरीद लेते हैं।

समय खरीदते समय हम कम महत्वपूर्ण काम बाहरी लोगों से करवाते हैं।

उदाहरण के लिए, हमारे 1 घंटे का मूल्य ₹100 है और सामने वाला हमारा 1 घंटे का काम ₹10 में कर रहा है तो समझदारी इसी में है कि हम उससे वह काम करवा ले ताकि हम उस बचे हुए समय में ज्यादा उपयोगी और मूल्यवान काम कर सकें।

यात्रा के समय का उपयोग

बस, ट्रेन या टैक्सी में बिताया गया समय भी आपका है, इसे बर्बाद क्यों करें?

यात्रा के दौरान क्या हम...

  • बुक समरी सुन सकते हैं?
  • प्रेरणादायक वीडियो देख सकते हैं?
  • किसी कोचिंग पॉडकास्ट से कुछ सीख सकते हैं?

छोटे-छोटे मौकों को पकड़िए, यही बड़े परिणाम लाते हैं।

समय मैनेजमेंट के सिद्धांत

पैरेटो के 20/80 नियम

हमारी 20% प्राथमिकताएँ 80% परिणाम देंगी, लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि हम अपनी 20% प्राथमिकताओं पर समय, ऊर्जा और संसाधन ध्यानपूर्वक खर्च करें।

कई बार हम कोशिश करते हैं कि हर काम को आदर्श तरीके से किया जाए, लेकिन यह समय की बर्बादी का कारण बन सकता है। यदि हम अपने काम को प्राथमिकता के आधार पर तय करें, तो यह हमें बेहतर परिणाम देने में मदद करेगा।

अपनी 20% प्राथमिकताओं की पहचान करना और उन पर समय का ध्यानपूर्वक निवेश करना, समय को सही तरीके से प्रबंधित करने के लिए आवश्यक है।

मानसिकता और सोच की शक्ति

खुद पर कार्य करना

लेखक के अनुसार, अव्यवस्था का एक आम उदाहरण है, किसी कागज या फाइल का समय पर न मिलना। एक अनुमान यह भी है कि ऑफिस में काम करने वाले लोग किसी ज़रूरी कागज या दस्तावेज़ को खोजने में हर दिन लगभग 30 मिनट बर्बाद कर देते हैं।

अक्सर ऐसा होता है कि हम किसी चीज़ को जल्दबाज़ी या आलस में सही जगह नहीं रखते, और बाद में उसे ढूंढते समय घर या ऑफिस की चीज़ें अस्त-व्यस्त कर बैठते हैं। वह चीज़ अंत में वहां मिलती है, जहां हम उम्मीद ही नहीं करते।

शायद यह सोचना उपयोगी हो सकता है कि अगर हम अपनी जगहों को थोड़ा व्यवस्थित रखें, तो समय की बचत के साथ मानसिक शांति भी बनी रह सकती है और फिर हम बाकी ज़रूरी कामों पर ज़्यादा ध्यान दे पाएंगे।

अवचेतन मन का लाभ लेना

कई बार जो काम हमारे चेतन मन के लिए कठिन लगते हैं, वही चीज़ें अवचेतन मन बहुत सहजता से कर लेता है। लेखक के अनुसार, अगर हम एक रात पहले ही अगली सुबह की योजना बना लें, तो अवचेतन मन पूरी रात उस पर काम करता रहता है।

हम समय का बेहतर उपयोग करना चाहते हैं, तो शायद हमें अपने अवचेतन मन की ताक़त को भी समझने और अपनाने की कोशिश कर सकते हैं। यहीं से ऐसे नए उपाय मिल सकते हैं, जिनसे हम कम समय में ज़्यादा सार्थक कार्य कर सकें।

सफलता के लिए त्याग

यह बात कई बार दोहराई जाती है कि हम सभी के पास एक दिन में बराबर 24 घंटे ही होते हैं, चाहे वो कोई बड़ा उद्योगपति हो या हम जैसे आम लोग।

बुक के अनुसार, फर्क इस बात से आता है कि हम अपने समय का चयन कैसे करते हैं कुछ पल की सुविधा, या किसी बड़े उद्देश्य की तैयारी।

शायद ये विचार काम आ सकता है कि कभी-कभी हमें तुरंत सुख देने वाले विकल्पों को टालकर, उन रास्तों को चुनना होता है जो लंबे समय में ज़्यादा मूल्यवान परिणाम दे सकते हैं।

ध्यान भटकाने वाले तत्वों से बचाव

टीवी से बचकर रहना

लेखक के अनुसार, एक सर्वे में पाया गया कि लोग हर सप्ताह औसतन 17 घंटे टीवी देखते हैं, यानी करीब ढाई घंटे प्रतिदिन। यह हमारे जागरूक समय का लगभग 20% हिस्सा है।

शायद इस बारे में सोचने लायक बात यह हो सकती है कि टीवी एक अच्छा सेवक तो हो सकता है, लेकिन अगर हम सतर्क न रहें, तो यह हमारी प्राथमिकताओं पर हावी भी हो सकता है।

यह चुनाव हमारे हाथ में है कि हम इसे उपयोगी साथी बनाए रखें, या यह हमें नियंत्रित करने लगे।

मोबाइल का उपयोग सिमित करना

आज मोबाइल हमारे जीवन का बड़ा हिस्सा बन गया है। कई बार ऐसा भी होता है कि ज़रा-सी फुर्सत मिलते ही हम मोबाइल की ओर खिंच जाते हैं और फिर गाने, चैटिंग या स्क्रॉलिंग में कब समय निकल जाता है, पता ही नहीं चलता।

लेखक बताते हैं कि मोबाइल आधुनिक सुविधा तो है, लेकिन यह सुविधा समय की सबसे बड़ी खपत भी बन सकती है।

अगर कभी चाहें, तो यह कोशिश की जा सकती है कि मोबाइल का उपयोग सोच-समझकर किया जाए और जितना समय बचे, उसे अपने ज़्यादा ज़रूरी या रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए।

इंटरनेट का उपयोग कम करना

कई बार हम किसी ज़रूरी काम से इंटरनेट खोलते हैं, लेकिन अचानक कोई आकर्षक विज्ञापन या लिंक दिख जाता है और हम दूसरी ही दिशा में बहक जाते हैं। यही इंटरनेट का सबसे सामान्य जाल है, जिसे लेखक ने “सर्फिंग का जोखिम” कहा है।

अगर हम समय को बचाना चाहते हैं, तो इंटरनेट पर काम करते समय कुछ सीमाएँ तय करने की कोशिश की जा सकती है।

उदाहरण के तौर पर, ऐसा समय चुना जा सकता है जिसके बाद कोई और ज़रूरी कार्य करना हो, इससे हमारा ध्यान अपने-आप नियंत्रित रहता है।

यह सब बातें केवल रोकथाम के लिए नहीं हैं बल्कि शायद इसलिए, ताकि हमारे पास जागरूक समय ज़्यादा हो सके। समय हमारा है, और कैसा बीतेगा यह धीरे-धीरे हमारी समझ और प्राथमिकताओं से तय होता है।

आलस्य और टालमटोल से लड़ना

आलस को मैनेज करना

लेखक के अनुसार, कई बार आलस्य का कारण हमारी दिनचर्या और खाने-पीने की आदतें भी हो सकती हैं। जब हम एक साथ बहुत ज़्यादा खा लेते हैं, तो शरीर सुस्त हो जाता है और दिमाग का फोकस भी कमजोर पड़ सकता है।

ऐसा महसूस हुआ है कि अगर हम थोड़ा-थोड़ा करके समय पर खाएं और उसके बाद हल्की गतिविधि में लगे रहें, तो शरीर में हलकापन बना रहता है और काम में मन भी ज़्यादा लगता है।

शायद यह भी एक तरीका हो सकता है कि हम अपनी ऊर्जा को बचाए नहीं, बल्कि सही दिशा में लगाते रहें क्योंकि जब हम सक्रिय होते हैं, तो आलस्य खुद ही दूर रहता है।

टालमटोल न करना

ऐसा हो सकता है कि कुछ काम कठिन लगते हैं, या कभी-कभी मन ही नहीं करता। ये बातें हर किसी के साथ होती हैं। लेखक ने इसे टालमटोल कहा है, यानी जो आज करना था, वह कल पर टाल देना।

हमने भी महसूस किया है कि जितना ज़्यादा हम किसी जरूरी काम को टालते हैं, उतना ही वह दिमाग पर बोझ बन जाता है।

हो सकता है कि हम शुरुआत बहुत छोटे क़दम से करें; एक लाइन लिखें, एक फ़ोन करें, बस शुरुआत करें, धीरे-धीरे बाकी काम अपने आप होने लगते हैं।

यह भी ध्यान देने वाली बात हो सकती है कि अगर हम हर बार अपने "मूड" के भरोसे काम करेंगे, तो कई ज़रूरी काम अधूरे रह सकते हैं। शायद काम पहले शुरू करने का फ़ैसला करना और मन बाद में साथ लाना ज़्यादा आसान हो।

समय के नियम और सिद्धांत

समय का गुरुत्वाकर्षण नियम

लेखक के अनुसार, जैसे ही हम कोई महत्वपूर्ण काम शुरू करते हैं, लगता है जैसे रुकावटें चुपचाप आकर खड़ी हो जाती हैं कभी कोई और काम बीच में आ जाता है, कभी बाहरी परिस्थितियाँ हमें भटका देती हैं, और कभी-कभी हमारा ही मन इधर-उधर भटकने लगता है।

ऐसा लगता है जैसे कोई अदृश्य खिंचाव हमें पीछे खींच रहा हो। इसे कुछ लोग समय का गुरुत्वाकर्षण भी कह सकते हैं जो हमें हमारी जगह पर रोकने या नीचे खींचने की कोशिश करता है।

शायद इस नियम को समझकर हम यह जान सकते हैं कि रुकावट आना सामान्य है और जब हम इसके लिए पहले से सजग होते हैं, तो इस गुरुत्वाकर्षण को पार करना थोड़ा आसान हो सकता है।

कभी-कभी कुछ छोटे-छोटे उपाय जैसे एकदम शुरुआत कर देना, थोड़ी देर तक बिना रुके काम करना, या ध्यान भटकाने वाले कारणों को कम करना, इस खिंचाव को हल्का कर सकते हैं।

न्यूटन का पहला नियम

न्यूटन का पहला नियम भौतिक विज्ञान में कहा गया है:

"कोई भी वस्तु तब तक अपनी स्थिति नहीं बदलती जब तक उस पर कोई बाहरी बल न लगे।"

लेखक का मानना है कि यह नियम केवल वस्तुओं पर ही नहीं, हम इंसानों पर भी लागू होता है। जब तक हमें कोई झटका, प्रेरणा या दबाव नहीं मिलता, हम अकसर वहीं टिके रहते हैं जहाँ हैं।

यह 'बाहरी बल' कई रूपों में हो सकता है; कोई समय सीमा, कोई ज़िम्मेदारी, कोई प्रेरक किताब, या फिर हमारे अंदर का एक फैसला।

शायद यह भी एक तरीका हो सकता है कि हम कभी-कभी खुद को थोड़ा-सा धक्का दें बिल्कुल वैसे ही जैसे एक रुकी हुई साइकिल को ज़रा सा धक्का देकर चलाया जाता है। और एक बार जब हम चलने लगते हैं, तो गति बन जाती है।

शायद समय का सबसे गहरा नियम यही है कि वह चलता है, और हमें भी चलने के लिए प्रेरित करता है। बस शुरुआत वही जगह होती है जहाँ हम खड़े हैं।

बुक कोट्स

"खोई दौलत मेहनत से दोबारा हासिल की जा सकती है ,खोया ज्ञान अध्ययन से, खोया स्वास्थ्य चिकित्सा या संयम से लेकिन खोया समय हमेशा-हमेशा के लिए चला जाता है।"

"कैलेंडर से धोखा नहीं खाना। क्योंकि साल भर में केवल उतने ही दिन होते हैं जितने हम उपयोग करते हैं। एक व्यक्ति साल भर में केवल एक सप्ताह का मूल्य प्राप्त करता है जबकि दूसरा व्यक्ति एक सप्ताह में ही पूरे साल का मूल्य प्राप्त कर लेता है।"

"अमीर बनने का मतलब है पैसा होना और बेहद अमीर बनने का मतलब है समय होना।"

"सफल व्यक्ति ऐसे काम करने की आदत डाल लेता है जिन्हें असफल लोग नहीं करना चाहते। हालांकि सफल व्यक्तियों को भी वह काम अच्छे नहीं लगते हैं लेकिन उद्देश्य को याद रखते हुए वे ना पसंद कार्यों से मुंह नहीं मोड़ते है।"

"हर दिन समय जो छोटे-छोटे अंतराल देता है उसमें बहुत कुछ किया जा सकता है जिन्हें अधिकांश लोग बर्बाद कर देते हैं।"

"अमीर लोग समय में निवेश करते हैं और गरीब लोग धन में।"

"व्यस्त होना ही काफी नहीं है व्यस्त तो चीटियां भी होती है। सवाल यह है कि हम किस काम में व्यस्त हैं।"

"सबसे महत्वपूर्ण चीजों को महत्वहीन चीजों की दया पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए।"

"दिन भी कितनी रहस्यमई चीज हैं। कभी पंख लगाकर उड़ जाता है और कभी निकलता ही नहीं, लेकिन उन सभी में 24 घंटे ही होते हैं। ऐसा बहुत कुछ है जो हम समय के बारे में नहीं जानते।"

"हमारे पास समय की सबसे ज्यादा कमी होती है परंतु हम इसी का सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं।"

"ऐसी प्रार्थना करो जैसे सब कुछ ईश्वर पर निर्भर करता हो। इस तरह काम करें जैसे सब कुछ हम पर निर्भर करता हो।"

"जिन लोगों के पास खाली समय होता है वे हमेशा काम करने वाले लोगों का समय बर्बाद करते हैं।"

"समय काटने का मतलब है कि समय हमें काट रहा है।"

"कानून उस डाकू को कभी नहीं पकड़ता जो इंसान की सबसे बेस्ट कीमती चीज 'समय' को चुराता है।"

"सच्ची सफलता पाने के लिए खुद से यह चार सवाल पूछे; क्यों? क्यों नहीं? मैं क्यों नहीं? अभी क्यों नहीं?"

"यदि हमारा पड़ोसी जल्दी उठता है तो हमें उससे भी ज्यादा जल्दी उठना होगा।"

"जो लोग सोचते हैं कि उनके पास शारीरिक व्यायाम के लिए समय नहीं है उन्हें देर-सवेर बीमारीयों के लिए समय निकालना पड़ेगा।"

"जब तक हम खुद को मूल्यवान नहीं मानते, तब तक हम अपने समय को भी मूल्यवान नहीं मानेंगे। जब तक हम अपने समय को मूल्यवान नहीं मानेंगे, तब तक हम इसके बारे में कुछ भी नहीं करेंगे।"

"हम देर कर सकते हैं लेकिन समय नहीं करेगा।"


END

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