Time Management Book Summary

Time Management किताब यह समझाती है कि असल में हमारे पास समय की कमी नहीं है बल्कि हम एक साथ बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं। इसी जल्दबाज़ी में हम काम की गुणवत्ता खो देते हैं, और वही कार्य बाद में और अधिक समय ले लेता है।

डॉ. सुधीर दीक्षित द्वारा लिखित टाइम मैनेजमेंट बुक हमें समय के बेहतर उपयोग की दिशा में प्रेरित करती है। लेखक बताते हैं कि सफल होने और न होने के बिच का सीधा संबंध इस बात से है कि हम अपने समय को कितना समझदारी से मैनेज करते हैं।

यह पुस्तक कोई शॉर्टकट फार्मूला नहीं देती जिसे अपनाकर कोई चमत्कार हो जाए और वास्तव में ऐसा कोई फार्मूला होता भी नहीं। यदि हम इस पुस्तक की हर बात नहीं तो कम-से-कम एक बात को गंभीरता से अपनाएं, तो हम अपने जीवन में दैनिक बदलावों महसूस कर सकते हैं।

Time Management Book Summary Hindi

    समय की योजना और निगरानी

    समय की डायरी बनाना।

    समस्या यह नहीं कि हमारे पास समय नहीं है। बल्कि हमें पता ही कि हमारा अधिकतर समय कहाँ जा रहा है? डायरी रखने से हम समय की अनजानी खपत को पहचान सकते है।

    अपने समय की सही तस्वीर देखने के लिए एक सप्ताह का समय रिकॉड करना है। इसमें यह लिखना है कि दिन भर में हमने किन-किन गतिविधियों में कितना समय खर्च किया है?

    टाइम टेबल बनाना।

    जब हम अपने दिन की योजना बनाते हैं, तो हमारी दिन हमारे नियंत्रण में रहता है। टाइम टेबल दो तरीकों से बनाया जा सकता है:

    पूर्ण टाइम टेबल। पूरे 24 घंटे की योजना, जैसे नींद, भोजन, कार्य, व्यायाम, आदि।

    संक्षिप्त टाइम टेबल। केवल कार्य समय या उत्पादक घंटों की योजना बनाना।

    यह तय करें कि कौन-सा तरीका हमारे लिए अधिक व्यवहारिक है। कोई भी तरीका हो, लक्ष्य एक ही है, महत्वपूर्ण काम आज ही पूरे करना।

    प्राइम टाइम की खोज।

    दिन के 24 घंटे समान नहीं होते। हर इंसान का एक समय ऐसा होता है जब उसकी ऊर्जा, ध्यान और रचनात्मकता सबसे अधिक होती है यही उसका प्राइम टाइम होता है।

    प्राइम टाइम को छोटे-मोटे कामों में बर्बाद न करें, जिन्हें बाकी समय में भी किया जा सकता है। जब हमारा मन और शरीर उच्चतम स्तर पर हो, तो उसे साधारण कार्यों में न गवाएं।

    लक्ष्य निर्धारण और प्राथमिकता

    स्पष्ट आर्थिक लक्ष्य बनाना।

    हम अक्सर अपने जीवन में सामान्य लक्ष्य बनाते हैं जैसे आज से मैं ज्यादा मेहनत करूंगा, या अपनी कुशलता बढ़ाऊंगा। परंतु सामान्य लक्ष्य अस्पष्ट होते हैं, इन्हें न तो मापा जा सकता है, न ही उनके पूरे होने का कोई निश्चित मानक होता है।

    सटीक और मापने योग्य लक्ष्यों के बिना, समय का सही उपयोग संभव नहीं है।

    सबसे महत्वपूर्ण काम पहले करना।

    मूर्ख व्यक्ति जो काम अंत में करता है, बुद्धिमान उसे तुरंत कर लेता है।

    अधिकांश लोग दिन का समय कम महत्व के कार्यों में बर्बाद कर देते हैं और जरूरी काम टालते जाते हैं। यही कारण है कि कई बड़े लक्ष्य कभी पूरे नहीं होते।

    दिन की शुरुआत सबसे महत्वपूर्ण कार्य से करें, वही कार्य जो हमें अपने लक्ष्य के करीब ले जाता है।

    परिणाम का महत्व।

    उदाहरण के लिए, कर्मचारी अक्सर महसूस करते हैं कि वे 8 घंटे काम करते हैं इसलिए उनकी तनख्वाह बढ़ानी चाहिए।

    दूसरी ओर कंपनी के मालिक सोचते हैं कि इस आदमी ने ₹5000 का काम किया है और इसे ₹8000 तनख्वाह पहले से मिल रही है इसलिए इसकी तनख्वाह बढ़ाने की जरूरत नहीं है, इसके बजाय अगर संभव हो तो उसकी तनख्वाह कम कर देनी चाहिए या उसे नौकरी से निकाल देना चाहिए।

    कर्मचारी के लिए महत्वपूर्ण पैमाना यह है कि उसने कितने समय काम किया जबकि कंपनी के मालिक के लिए महत्वपूर्ण पैमाना यह है कि उसने कितना मूल्यवान परिणाम दिया।

    आदतें और दिनचर्या

    सुबह का लाभ लेना।

    कई लोग कहते हैं कि रात को बेहतर काम होता है, लेखक का मानना है कि हो सकता है यह सच हो, पर अनुभव यह बताते है कि सुबह का समय हर लिहाज़ से फायदेमंद होता है।

    सुबह 5 बजे की शांति, ठंडी हवा और तरोताज़ा दिमाग ये सभी मिलकर काम की गति और गुणवत्ता दोनों को बढ़ा देते हैं। सुबह का एक घंटा हमारी पूरी दिनचर्या की दिशा बदल सकता है।

    हर दिन व्यायाम करना।

    हमें हर दिन एक घंटा सुबह अपने लिए निकालना होगा। लेखक का मानना है कि 23 घंटे इस शरीर से हम दूसरों के लिए काम करते है तो क्या हम 1 घंटा अपने शरीर, अपने स्वास्थ्य और सौंदर्य की देखभाल करने के लिए नहीं दे सकते है।

    निश्चित कार्य निश्चित समय पर करना।

    हमारे शरीर में एक घड़ी होती है जिसे बायोलॉजिकल क्लॉक कहा जाता है। जब हम निश्चित समय पर काम करने की आदत डाल लेते हैं तो हमारा शरीर उसी अनुसार ढल जाता है।

    उदाहरण के लिए, हम हर दिन दोपहर 1:30 पर खाना खाते हैं तो हमें उस समय अपने आप भूख लगने लगेगी।

    हर महत्वपूर्ण काम के लिए, एक निश्चित समय तय करने से, हम शारीरिक और मानसिक रूप से उस कार्य के लिए पूरी तरह तैयार रहते हैं।

    कार्यों का विभाजन और सौंपना

    काम सौंपना सीखना।

    दूसरों की योग्यता, बुद्धि, क्षमता और निष्ठा पर भरोसा करना आसान नहीं होता, और बड़ी सफलता हासिल करने के लिए ऐसा करना भी जरूरी होता है।

    काम सौंपने की कला में निपुण होने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है: पहली, यह पता लगाना कि कौन से काम सौंपे जा सकते हैं और दूसरी, किसको।

    बस इतनी सावधानी बरतें कि अती महत्वपूर्ण काम दूसरों को सौंपने के बजाय खुद करें।

    समय खरीदना।

    यदि हम समय के बजाय पैसे बचाने की ज्यादा कोशिश करते हैं तो इसका मतलब है कि हम अपने समय को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं।

    समय खरीदते समय हम कम महत्वपूर्ण काम बाहरी लोगों से करवाते हैं।

    उदाहरण के लिए, हमारे 1 घंटे का मूल्य ₹100 है और सामने वाला हमारा 1 घंटे का काम ₹10 में कर रहा है तो समझदारी इसी में है कि हम उससे वह काम करवा ले ताकि हम उस बचे हुए समय में ज्यादा उपयोगी और मूल्यवान काम कर सकें।

    ध्यान भटकाने वाले तत्वों से बचाव

    टीवी से बचकर रहना।

    लेखक के अनुसार, एक सर्वे में पाया गया कि लोग हर सप्ताह औसतन 17 घंटे टीवी देखते हैं, यानी करीब ढाई घंटे प्रतिदिन। यह हमारे जागरूक समय का लगभग 20% हिस्सा है।

    शायद इस बारे में सोचने लायक बात यह हो सकती है कि टीवी एक अच्छा सेवक हो सकता है, अगर हम सतर्क न रहें, तो यह हमारी प्राथमिकताओं पर हावी भी हो सकता है।

    यह चुनाव हमारे हाथ में है कि हम इसे उपयोगी साथी बनाए रखें, या यह हमें नियंत्रित करने लगे।

    मोबाइल का उपयोग सिमित करना।

    आज मोबाइल हमारे जीवन का बड़ा हिस्सा बन गया है। कई बार ऐसा भी होता है कि ज़रा-सी फुर्सत मिलते ही हम मोबाइल की ओर खिंच जाते हैं और फिर गाने, चैटिंग या स्क्रॉलिंग में कब समय निकल जाता है, पता ही नहीं चलता।

    अगर हम चाहें, तो यह कोशिश कर सकते है कि मोबाइल का उपयोग सोच-समझकर किया जाए और जितना समय बचे, उसे अपने ज़्यादा ज़रूरी या रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए।

    इंटरनेट का उपयोग कम करना।

    कई बार हम किसी ज़रूरी काम से इंटरनेट खोलते हैं, और अचानक कोई आकर्षक विज्ञापन या लिंक दिख जाता है और हम दूसरी ही दिशा में बहक जाते हैं। यही इंटरनेट का सबसे सामान्य जाल है, जिसे लेखक ने सर्फिंग का जोखिम कहा है।

    यह सब बातें केवल रोकथाम के लिए नहीं हैं बल्कि शायद इसलिए, ताकि हमारे पास जागरूक समय ज़्यादा हो सके। समय हमारा है, और कैसा बीतेगा, यह हमारी समझ और प्राथमिकताओं से तय होता है।

    बुक कोट्स

    कैलेंडर से धोखा नहीं खाये। क्योंकि साल भर में केवल उतने ही दिन होते हैं जितने हम उपयोग करते हैं। एक व्यक्ति साल भर में केवल एक सप्ताह का मूल्य प्राप्त करता है जबकि दूसरा व्यक्ति एक सप्ताह में ही पूरे साल का मूल्य प्राप्त कर लेता है।

    अमीर बनने का मतलब है पैसा होना और बेहद अमीर बनने का मतलब है समय होना।

    सफल व्यक्ति ऐसे काम करने की आदत डाल लेता है जिन्हें असफल लोग नहीं करना चाहते। हालांकि सफल व्यक्तियों को भी वह काम अच्छे नहीं लगते हैं पर उद्देश्य को याद रखते हुए वे ना पसंद कार्यों से मुंह नहीं मोड़ते है।

    हर दिन समय जो छोटे-छोटे अंतराल देता है उसमें बहुत कुछ किया जा सकता है जिन्हें अधिकांश लोग जाने देते हैं।

    अमीर लोग समय में निवेश करते हैं और गरीब लोग धन में।

    व्यस्त होना ही काफी नहीं है व्यस्त तो चीटियां भी होती है। सवाल यह है कि हम किस काम में व्यस्त हैं।

    सबसे महत्वपूर्ण चीजों को महत्वहीन चीजों की दया पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

    दिन भी कितनी रहस्यमई चीज हैं। कभी पंख लगाकर उड़ जाता है और कभी निकलता ही नहीं, और उन सभी में 24 घंटे ही होते हैं। ऐसा बहुत कुछ है जो हम समय के बारे में नहीं जानते।

    हमारे पास समय की सबसे ज्यादा कमी होती है परंतु हम इसी का सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं।

    ऐसी प्रार्थना करो जैसे सब कुछ ईश्वर पर निर्भर करता हो। इस तरह काम करो जैसे सब कुछ हम पर निर्भर करता हो।

    जिन लोगों के पास खाली समय होता है वे हमेशा काम करने वाले लोगों का समय बर्बाद करते हैं।

    समय काटने का मतलब है कि समय हमें काट रहा है।

    कानून उस डाकू को कभी नहीं पकड़ता जो इंसान की सबसे बेस्ट कीमती चीज समय को चुराता है।

    सच्ची सफलता पाने के लिए खुद से यह चार सवाल पूछे; क्यों? क्यों नहीं? मैं क्यों नहीं? अभी क्यों नहीं?

    यदि हमारा पड़ोसी जल्दी उठता है तो हमें उससे भी ज्यादा जल्दी उठना होगा।

    जो लोग सोचते हैं कि उनके पास शारीरिक व्यायाम के लिए समय नहीं है उन्हें देर-सवेर बीमारीयों के लिए समय निकालना पड़ेगा।

    जब तक हम खुद को मूल्यवान नहीं मानते, तब तक हम अपने समय को भी मूल्यवान नहीं मानेंगे। जब तक हम अपने समय को मूल्यवान नहीं मानेंगे, तब तक हम इसके बारे में कुछ भी नहीं करेंगे।

    हम देर कर सकते हैं लेकिन समय नहीं करेगा।


    END

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