Options Trading Psychology Book

जब हम ट्रेडिंग की बात करते हैं, तो अक्सर हमारा ध्यान चार्ट्स, इंडिकेटर्स और डेटा एनालिसिस की ओर होता है। लेकिन “Option Trading Psychology” हमें याद दिलाती है कि हमारी असली लड़ाई तकनीक से नहीं, बल्कि अपने भीतर की भावनाओं से होती है।

इस पुस्तक को पढ़ते हुए हमें यह समझ में आता है कि डर, लालच, अनिश्चितता और आत्म-संदेह जैसे भावनात्मक पहलू, हमारे सफलता होने और न होने के बीच आधार बन सकता हैं।

लेखक Karthik और Vignesh MuthuMohan द्वारा लिखित यह किताब हमें नकारात्मक भावनाओं से मुकाबला करने के लिए आवश्यक मानसिक अनुशासन, धैर्य और निरंतर अभ्यास की आकर्षित करती है।

यह केवल एक मानसिकता की किताब नहीं है, बल्कि एक ऐसे दोस्त की तरह है जो हमें यह सिखाती है कि हर असमंजस की घड़ी में हम कैसे खुद को स्थिर रखें। किताब की सबसे अच्छी बात यह है कि यह केवल सिद्धांतों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि स्पष्ट उदाहरणों और व्यावहारिक रणनीतियों के माध्यम से हमें आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करना सिखाती है।

ट्रेडिंग में सफलता सिर्फ सही निर्णय लेने से नहीं, बल्कि उस निर्णय के साथ खड़े रहने की क्षमता से मिलती है और यही बात हमें इस किताब से सीखने को मिलती है।

Option Trading Psychology
Option Trading Psychology Book Summary Hindi

ऑप्शन ट्रेडर की मानसिकता

हर ऑप्शन ट्रेडर के भीतर एक मानसिक ढाँचा होता है, जो उसके सोचने, समझने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। बुक के अनुसार, यह मानसिकता अक्सर हमारे अंदर अनजाने में विकसित होती है, कभी अनुभवों से, कभी उम्मीदों से, तो कभी असुरक्षा या लालच से।

सौभाग्यवश, इन मानसिकताओं को पहचाना जा सकता है और सही दिशा में विकसित किया जा सकता है, बस ज़रूरत होती है आत्म-विश्लेषण, ईमानदारी और सीखने की इच्छा की।

कुछ मानसिकता के उदाहरण इस प्रकार है;

  1. जल्दी अमीर बनने की मानसिकता।
  2. सीखने और विकास की मानसिकता।
  3. भयभीत और जोखिम से बचने वाली मानसिकता।
  4. बुद्धिमान लेकिन अनुशासनहीन मानसिकता।
  5. सही मानसिकता।

आतंरिक मानसिकता की क्रिया समझना

जब भी हम अपने व्यवहार, निर्णय या भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं, तो हमें यह भी जानना होता है कि इसके पीछे हमारे शरीर के कुछ हार्मोन किस तरह से भूमिका निभाते हैं।

यह दो हॉर्मोन के प्रभाव और उन्हें मैनेज करने के तरीके बताये गये है;

कॉर्टिसोल: यह अपने भय को घटता और बढ़ता है। इसे मैनेज करने के लिए ध्यान लगाना, योग करना और अच्छी नींद लेना होता है।

डोपामाइन: यह लालच को कम-ज्यादा करता है। डोपामाइन को मैनेज करने के लिए अपने काम के रिवॉर्ड को तुरंत की जगह देरी से प्राप्त करना, एक अच्छा उपाय है।

यदि हम इन हार्मोनल प्रतिक्रियाओं को पहचानना और संभालना सीख जाएं, तो यह केवल ट्रेडिंग में नहीं, जीवन के कई पहलुओं में हमारी मदद कर सकता है।

लालच और उसका मैनेजमेंट

बुक के अनुसार, ऑप्शन ट्रेडिंग में लालच, हर समय लाभ निकालने की तेज इच्छा के कारण हमारे अंदर आता है। और यह ट्रेडिंग प्रक्रिया में तब दिखने लगता है जब ट्रेडर भारी रिटर्न की संभावना पर अड़ जाते है और रिस्क को अनदेखा करता है।

लालच को मैनेज करने के लिए कुछ रणनीतियाँ इस प्रकार है;

  • अपने ज्ञान और रिस्क क्षमता के अनुसार लक्ष्य बनाएं।
  • ट्रेडिंग योजना के अनुसार ही कार्य करें।
  • अपने रिस्क को समझें और उसके अनुसार निर्णय लें।
  • सही अवसर का इंतजार करें।
  • लालच और भावनात्मक निर्णयों से बचने के लिए अपनी भावनाओं को समझें।

भय और उसका मैनेजमेंट

ऑप्शन ट्रेडिंग में डर, ट्रेड में शामिल रिस्क और उतार-चढ़ाव के प्रति एक तेज भावुक प्रतिक्रिया है। डर अक्सर चिंता, घबराहट या अधिक हानि की भावना के रूप में प्रकट होता है, और यह ट्रेडर्स के फैसलों को प्रभावित करता है।

भय को मैनेज करने के लिए कुछ प्रक्रिया इस प्रकार है;

  1. अपने ज्ञान को बढ़ाना।
  2. अपनी भावनाओं को लिखकर, एनालिसिस करना।
  3. अपनी आदतों और कार्यों के पैटर्न को पहचानना।
  4. भावनाओं को नियंत्रण में रखना।

गलत धारणा और उनसे बचना

हम सभी में कुछ कमियां होती हैं जो हमें हमारे लक्ष्यों से भटकाती हैं। इन कमियां और धारणाओं को हम पूर्वाग्रह कहते हैं। ये मानसिक शॉर्टकट की तरह हैं जिसे हमारा दिमाग बिना एहसास के अपना लेता है।

दूसरी ओर, भ्रम हमारी सोच में एक खाली जगह हैं जो हमारे तर्क में एक जाल की तरह काम करता हैं। भ्रम रेगिस्तान में होने वाली मृगतृष्णा की तरह हैं-जो पहले-पहल सत्य नज़र आता हैं, लेकिन वास्तव में वह हमारा भ्रम होता हैं।

गलत धारणाओं को मैनेज करने के लिए कुछ रणनीतियां इस प्रकार है;

  1. अपनी सोच के प्रति आत्म-जागरूकता विकसित करना।
  2. अपने इमोशन को मैनेज करना।
  3. ट्रेडिंग प्लान फॉलो करना।
  4. अपने कार्य में फीडबैक लेना।

आशा का ट्रेडिंग पर प्रभाव

आशा, ऑप्शन ट्रेडर्स की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर प्रभाव डालती है। जब इसका बेहतर तरीके से उपयोग किया जाता है, तो यह कार्य करने की प्रेरणा भी बन जाती है और हमें सोच-समझकर जोखिम उठाने की ओर ले जाती है।

इसके विपरीत, जब इसे अनदेखा किया जाता है, तो यह कई पूर्वाग्रहों और हानिकारक व्यवहारों को जन्म देती है, जिसके परिणामस्वरूप हमें अधिकांश समय नुकसान झेलना पड़ता है।

आशा को मैनेज करने के कुछ उपाय इस प्रकार है;

  1. अपने विचारों की एक डायरी बनाए।
  2. सचेत ट्रेडिंग का अभ्यास करना।
  3. ट्रेडिंग योजना पर ध्यान देना।
  4. ट्रेडिंग परिणाम से अलगाव रखना।

अफसोस से विकास तक

पछतावा हमेशा मौजूद रहने वाला साथी है। ट्रेडिंग में पछतावा दो कारणों से होता है; पहला, कोई ट्रेड छूट जाने पर और दूसरा, अपने निर्णय गलत होने पर।

पछतावे के नुकसान से बचने के कुछ उपाय इस प्रकार है;

  1. खुद के बनाये गए ट्रेडिंग नियमों को फॉलो करना।
  2. पछतावे का विश्लेषण करना।
  3. जोखिम को समझना।
  4. खुद को लगातार शिक्षित करना।
  5. एक एग्जिट स्ट्रॅटजी का उपयोग करना।

ट्रेडिंग अनुशासन का महत्व

ट्रेडिंग अनुशासन, एक अच्छी तरह से परिभाषित ट्रेडिंग योजना, नियमों और सिद्धांतों का एक समूह है, जो हमें ट्रेडिंग करते समय मार्गदर्शन करता है।

ट्रेडिंग अनुशासन रातों-रात विकसित नहीं किया जा सकता, यह आत्म-निपुणता और निरंतर सुधार की यात्रा है।इसलिए हमें इन पहलुओं को बेहतर करना होता है;

  1. स्पष्ट ट्रेडिंग योजना बनाना।
  2. रिस्क मैनेजमेंट फॉलो करना।
  3. भावनात्मक नियंत्रण विकसित करना।
  4. ट्रेडिंग प्लान की समय-समय पर जांच करना।
  5. नियमित व्यायाम और स्वस्थ भोजन ग्रहण करना।

धैर्य की शक्ति

ऑप्शन ट्रेडिंग की तेज गति वाली दुनिया में, धैर्य वह गुमनाम नायक होता है जो एक सट्टेबाज को कब बेहतर ट्रेडर बना देता है, उसे इसका एहसास भी नहीं होता।

सही अवसरों की प्रतीक्षा करने का अर्थ है सफलता की उच्च संभावना वाले ट्रेडों में प्रवेश करना। इससे प्रॉफिट की संभावना बढ़ जाती है और नुकसान का जोखिम कम हो जाता है।

धैर्य को अपनी ट्रेडिंग योजना में कुछ इस प्रकार फॉलो कर सकते है;

  1. संभावनाओं को अधिकतम करना।
  2. कम संभावना वाले ट्रैड से बचना।
  3. मार्केट के ट्रेंड के साथ तालमेल बिठाना।
  4. भावनात्मक तनाव को कम करना।
  5. बेहतर स्टॉक व इंडेक्स का चयन करना।

नुकसान से निपटना और उभरना

ट्रेडिंग की दुनिया, कुछ भी होने की संभावना से भरी है, जहाँ हमारी भावनाओं में तेजी से उतार-चढ़ाव अनुभव करने को मिलता हैं। जब ट्रेडर्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है, तो भावनाओं का एक नकारात्मक समूह उन्हें घेर लेता है, यह प्रक्रिया सभी ट्रेडर्स में देखने को मिलती है।

लॉस से निपटने के लिए कुछ रणनीतियां फॉलो कर सकते है जो इस प्रकार है;

  1. प्रॉफिट और लॉस को स्वीकार करना सीखना।
  2. भावनात्मक लचीलेपन को अपनाना।
  3. जर्नलिंग और आत्म-चिंतन करना।
  4. स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना।
  5. ट्रेडिंग पोजीशन को मैनेज करना।

आत्मविश्वास का निर्माण करना

अपने सिस्टम में आत्मविश्वास पैदा करने का एक बुनियादी कदम यह है कि अपनी ट्रेडिंग स्टाइल को समझना। हमारी ट्रेडिंग स्टाइल, हमें यह समझने में मदद करती है कि हम मार्केट के प्रति कैसी भावना रखते है, और प्रॉफिट और लॉस पर कैसी प्रतिक्रिया देते है।

आत्मविश्वास बढ़ाने की कुछ महत्वपूर्ण रणनीतियाँ इस प्रकार है;

अपनी ट्रेडिंग स्टाइल को परिभाषित करना: ट्रेडिंग स्टाइल उतनी ही अलग-अलग हो सकती हैं, जितने कि ट्रेडर्स स्वयं होते हैं। कुछ ट्रेडिंग स्टाइल जैसे डे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, पोजीशन ट्रेडिंग, स्कल्पिंग और एल्गोरिथम ट्रेडिंग।

अपने ट्रेडिंग सिस्टम को अपने व्यक्तित्व से जोड़ना; हम सभी में कोई खास गुण ज्यादा एक्टिव होता है जैसे जोखिम सहनशीलता, धैर्य, एनालिटिकल स्किल, भावनात्मक लचीलापन आदि जो हमें एक ट्रेडिंग बढ़त देता है।

ट्रेडिंग टाइम फ्रेम; हमारे द्वारा चुने गये टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी हमारे आत्मविश्वास बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए हमें अपने ट्रेडिंग टाइम फ्रेम को समझना होगा।

प्रक्रिया पर ध्यान दे नाकि रिजल्ट पर; कुछ ट्रेडर्स अपनी सफलता को रिजल्ट के अनुसार नापते है, जिससे उन्हें अपने सिस्टम की कमियां और खामियां दिखाई नहीं देती है। वहीं प्रक्रिया पर ध्यान देने से हम देर-सबेर बेहतर रिजल्ट पाने लगते है।

साथियों के दबाव और राय से निपटना

ट्रेडिंग समुदाय ऑनलाइन या ऑफ़लाइन समूह होते हैं, जहाँ ट्रेडर्स बाज़ार के ट्रेंड पर चर्चा करने, सिस्टम शेयर करने और ट्रेडिंग पहलुओं पर मदद करने के लिए एक साथ आते हैं।

इन बाहरी प्रभावों से निपटने की कुछ रणनीतियां इस प्रकार है;

  1. खुद से सिस्टम बनाना और रिसर्च करना।
  2. सोशल मीडिया सलाह को उपयोग से पहले जांच करना।
  3. एक्सपर्ट और अपनी राय को अलग-अलग रखना।
  4. न्यूज़ के उपयोग से पहले मार्केट के रिएक्शन को जानना।

तनाव और थकान से बचना

संतुलीत जीवन बनाना और उसे बनाए रखना, ट्रेडिंग सफलता के लिए जरुरी है। क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग में होने वाला उतार-चढ़ाव और पल-पल बदलती हमारी भावनाएं एक ट्रेडर के स्वास्थ्य और रिश्तों पर भारी पड़ सकती है यदि इसे प्रभावी ढंग से मैनेज नहीं किया जाता है तो।

तनाव को मैनेज करने की कुछ रणनीतियाँ इस प्रकार है;

  1. रिस्क मैनेज करना।
  2. स्टॉप लॉस के साथ ट्रेड को मैनेज करना।
  3. निरंतर सीखना।
  4. शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना।
  5. समय-समय पर ट्रेडिंग से छुट्टी लेना।

परिस्थितियाँ के अनुसार मानसिकता बदलना

मार्केट की परिस्थितियों, फाइनेंशियल बाजारों की मौजूदा स्थिति को बताती है, जिसे तीन भागों में बांटा गया है; बुलिश, बेयरिश और साइडवेज मार्केट। ये सभी परिस्थितियां ऑप्शन ट्रेडर्स को पैसे बनाने में मदद करती हैं।

बुलिश मार्केट; आशावाद, बढ़ती कीमतों और फाइनेंशियल मार्केट में सकारात्मकता का समय होता हैं। जो सभी को लाभ के अवसर प्रदान करता हैं, इस समय में आने वाले ट्रेडर्स में, अति-आत्मविश्वासी होकर ट्रेड लेने की संभावना अधिक होती है।

बेयरिश मार्केट; जिसमें संपत्तियों की कीमतों में गिरावट और निराशावाद का भय शामिल होता है। यह मार्केट ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए भय और घबराहट, जैसी परिस्थितियां पैदा करता है, जिससे बचने के लिए रिस्क मैनेजमेंट फॉलो करना होता है।

साइडवेज मार्केट; जिसमें सीमित प्राइस मूवमेंट और कुछ होने की संभावना होती है। यह ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए धैर्य और हताशा जैसी परिस्थितियाँ पैदा करता है। जिससे बचने के लिए धैर्य रखना, रेंज ट्रेडिंग करना, और टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करना बेहतर है।

ट्रेडिंग रूटीन बनाना

एक व्यक्तिगत ट्रेडिंग योजना, ट्रेडिंग की जटिल परिस्थितियों में कम्पास की तरह कार्य करती है जो हमारे ट्रेडिंग अनुशासन को मजबूत करने और निर्णय लेने के कौशल को तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

एक अच्छी तरह से मैनेज ट्रेडिंग रूटीन, ट्रेडिंग की दुनिया में सफलता की रीढ़ है। जिसे जानने के प्रश्न इस प्रकार है;

  1. ट्रेडिंग को करते हुए हमारी दैनिक व्यक्तिगत जीवन की दिनचर्या क्या है?
  2. हमारी मौजूदा दैनिक ट्रेडिंग रूटीन क्या है?
  3. हमारे विचार में हमारी दिनचर्या कैसी दिखती है?

ट्रेडिंग जर्नल बनाना; एक सफल ट्रेडर बनने की यात्रा में ट्रेडिंग जर्नल एक अमूल्य उपकरण है। जिसमें हम प्राइस की समझ, भावनाओं का मैनेजमेंट, आवश्यक जानकारी रिकॉर्ड करना, ट्रेड का विवरण, मार्केट की स्थिति, ट्रेडिंग योजना का पालन, प्रॉफिट और लॉस जैसी चीजों को लिखते और एनालिसिस करते है।

फूल टाइम ट्रेडिंग करियर

फुल टाइम ट्रेडर बनने का सपना ट्रेडर्स के बीच एक आम इच्छा है। यह इच्छा, ट्रेडिंग के आकर्षण और असीमित कमाई की संभावना के कारण हममें विकसित होती है।

यह जितना रोमांचक लगता है उतना ही कठिन भी है, क्योंकि यह भावनाओं पर चलने वाला खेल है जिसमें नियमों को फॉलो करना और समय आने पर अपडेट भी करना होता है। बहुत कम ट्रेडर्स होते है जो ट्रेडिंग को एक बिज़नेस मानकर लम्बे समय तक इसमें टिके रहते है।

फुल टाइम ट्रेडिंग करियर बनाने से पहले हमें इन बातों को समझना होगा।

निर्णय लेने की प्रक्रिया; ट्रेडिंग में पैसे बनाने के लिए रिस्क मैनेजमेंट, ट्रेडिंग स्किल मैनेजमेंट, ट्रेड मैनेजमेंट, अनुसासन मैनेजमेंट, कानून मैनेजमेंट जैसे पहलुओं पर महारत हाशिल करनी होगी।

पारिवारिक प्रभाव; फुल टाइम ट्रेडर बनने का निर्णय व्यक्तिगत नहीं होता; इसका प्रभाव एक ट्रेडर के पारिवारिक जीवन पर भी पड़ता है। इसलिए अपने परिवार को छह महीने पहले बताये कि हम फुल टाइम ट्रेडिंग की ओर कदम बढ़ाने वाले है।

बुक कोट्स

1-हर मार्केट परिस्थिति के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती।

2-ऑप्शन ट्रेडिंग की दुनिया में लंबी सफलता के लिए इच्छाओं को मैनेज करना होता है।

3-आशा एक मार्गदर्शक और प्रकाशक हो सकती है, लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग की दुनिया में लंबी सफलता के लिए इसे अनुशासित करना होता है।

4-ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रक्रिया मायने रखती है, नाकि परिणाम।

5-हर दिन एक अवसर है, जब तक मैं अपना ट्रेडिंग खाता नहीं खो देता। इसलिए एक ट्रेड चले जाने पर अगले ट्रेड की तैयारी करनी है नाकि पिछले ट्रेड के बारे में सोचना है।


END

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