लेखक Cal Newport द्वारा लिखित Deep Work बुक, हमें कार्य को गहराई के साथ करना सिखाती है। आज के समय में जहां हर ओर से बाधाएं हमारे कार्य पर प्रभाव डालती हैं। ऐसे में यह किताब हमें वे रहस्य बताती है जिससे हम अपने कार्यों में उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। यह किताब ऐसी कई बातें हमारे सामने रखती है जैसे अपने कार्यों के अनुसार समय बांटना, सोशल मीडिया का उपयोग कम करना आदि।
डीप वर्क फार्मूला
डीप वर्क, कार्य करने का, वह वातावरण है जिसमें हम अपना ध्यान भटकाए बिना अपने काम को अधिक समय देते है। इसमें काम करते समय छोटे-छोटे ब्रेक भी शामिल होते हैं, जो हमें बोरियत को मैनेज करने और अपने कार्य पर टिके रहने में मदद करते हैं।
डीप वर्क को फॉलो न कर पाने की विडंबना यह है कि खाली समय की तुलना में नौकरियों का आनंद लेना वास्तव में आसान होता है। क्योंकि उनमें लक्ष्य, फीडबैक नियम और चुनौतियाँ होती हैं। जो हमें ध्यान केंद्रित करने और उसमें खुद को खो देने में मदद करती हैं।
दूसरी ओर, डीपली कार्य करने की क्षमता, खाली समय से विकसित होती है। इसे किसी ऐसी चीज़ में ढालने के लिए बहुत अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है जिसका आनंद पूरे जीवन भर लिया जा सकें।
डीपली कार्य करना
लेखक के अनुसार, डीपली कार्य करने का अर्थ यह है कि एकाग्रता और रूकावट के बाद भी अपना कार्य जारी रखना। इसमें 90 मिनट तक एकाग्र होकर कार्य करना और छोटे-छोटे ब्रेक लेना शामिल है।
यह मेरी सोच है कि डीपली कार्य न कर पाने के दो कारण है। पहला वातावरण। हमारा मन बच्चे की तरह है, इसे समझदार मानने की भूल न करें। यह वही सीखता है जो यह अधिकतर देखता और सुनता है।
दूसरा है खालीपन। हम अपने कामों में इतने व्यस्त और जल्दबाजी में होते है कि रुक कर सोचने का समय ही नहीं होता है। जब में लोगों से कहता हु कि मुझे हर दिन सोचने के लिए समय की आवश्यकता पड़ती है। लोग मुझे ऐसे देखते है जैसे उनकी किडनी चुरा ली हों।
कार्य को गहराई से करने की क्षमता विकसित करने के लिए, दो चीजों की खोज करनी पड़ती है। पहला प्राइम टाइम। इसमें हम पुरे दिन के मुकाबले ज्यादा ध्यान केंद्रित होते है।
दूसरा, वातावरण। जो हमें कार्य को दोहराने की याद दिलाता है। ऐसा वातावरण मिलता नहीं है बनाना पड़ता है। मेरा यह मानना है कि अगर कोई चीज हमारे वातावरण में शामिल है तो देर-सवेर हम उस चीज को अपना लेते है।
बोरियत को गले लगाना
यह वह प्रेमिका है जिससे हर कोई बचता है। और मज़े की बात देखो, बेहतरी के लिए हर दिन उससे मिलने जाना ही पड़ता है। जिन कार्यों को हम बार-बार दोहराते हैं उसमें बोरियत महसूस होना सामान्य बात है।
यह मेरी सोच है कि अगर मुझे लगता है कि मुझे कभी-भी बोरियत का सामना नहीं करना पड़ेगा। तो मुझे एक बार फिर से सोचने की आवश्यकता है। क्योंकि कार्य में महारत हाशिल करने के लिए, कार्य को 10,000 बार दोहराना पड़ता है।
इसका मतलब है कि हर दिन बोरियत से मिलना ही है। तो क्यों न बोरियत को समझने और उससे मिलने की सीमा निर्धारित की जाये। ताकि हम बोरियत से मिलते हुए भी अपने कार्य को जारी रख सकें।
यह मेरी सोच है कि बोरियत महसूस करने के कई कारण है। कुछ कारण इस प्रकार है जिनके जवाब ढूढ़ना है।
- अपनी कार्य क्षमता क्या है? क्या मैं अपनी क्षमता पर अचानक से तो हमला नहीं कर रहा हूँ?
- क्या मुझे मेरे कार्य हर दिन सोचने पड़ते है, या मैं पहले से जानता हूँ।
- मुझे मंजिल की खुशी चाहिए या रास्ते की।
इनके जवाब सच के आधार पर नहीं, मानसिकता के आधार पर देने का प्रयास करना है। सच कड़वा है, झूठ मीठा और मानसिकता हम खुद है। न सच और न झूठ बस खुद।
सोशल मीडिया को छोड़ना
लेखक के अनुसार आज सूचना युग में जिस तरह सोशल मीडिया का उपयोग हो रहा है। उसे देख कर सही और गलत जैसे अनुमान नहीं लगाये जा सकते है।
जैसे, कुछ लोगों के लिए, सोशल मीडिया दोस्तों से मिलने की जगह है, तो कुछ लोग अपने परिवार से जुड़े रहने के लिए उपयोग करते हैं। तो कुछ लोग अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुंचाने का जरिया मानते हैं।
वहीं कुछ लोगों को सोशल मीडिया उपयोग करना ही नहीं आता। उन्हें मजबूरन खुश रहने के लिए दूसरे तरीके ढूढ़ने पड़ते है। इसका एक उदारहण आप पढ़ रहे है।
जो लोग सोशल मीडिया का समय कम करना चाहते है। उनके लिए लेखक एक नेटवर्क-टूल्स सिस्टम का परिचय देते है। जो हमें सोशल मीडिया को मैनेज करने में मदद करता है। जिसके टूल्स इस प्रकार है;
- अपने बिज़नेस व पर्सनल जीवन के लक्ष्यों को पहचाना।
- मुख्य लक्ष्यों को पाने का रोड मैप बनाना।
- सोशल मीडिया से कुछ समय का ब्रेक लेना।
- बाहरी गतिविधियों को बढ़ावा देना।
- इंटरनेट का उपयोग अपने मनोरंजन के लिए न करना।
अगर हम इस सिस्टम का एक भी टूल उपयोग करते है, तो रिजल्ट बेहतर होने की पूरी संभावना है। क्योंकि व्यवहारिक तौर सभी टूल्स का उपयोग किया जा सकता है। यहीं इस सिस्टम की खास बात है।
अपने काम को प्राथमिकता देना
यह मेरी सोच है कि आज के समय में हम खाली रहने से ज्यादा काम करना पसंद करते हैं। इसी के चलते हम ऐसे कार्य ढूंढ लेते हैं जो हमारे लिए उपयोगी नहीं होते हैं।
लेखक के अनुसार, हमें अपने कार्यों को दो भागों में बांटना हैं ताकि हम डीप वर्क फॉर्मूला उपयोग कर सकें। एक जो उत्पादकता बढ़ाता है और दूसरा जो हमारी उत्पादकता को कम करता है।
हमें उन कार्यों पर ध्यान देना है, जो हमारी उत्पादकता को कम करते हैं ताकि हम जिस उत्पादकता लेवल पर हैं उस लेवल से नीचे न गिरे।
उत्पादकता को कम करने वाले, कार्यों पर ध्यान देने के लिए कुछ बातें इस प्रकार है;
- अपना लक्ष्य चुनना और उसे प्राथमिकता देना।
- अपने लक्ष्यों से जुड़े कार्य करना।
- अपने अनुपयोगी कार्यों को दूसरों को सौपना।
- अपने शेड्यूल पर ध्यान केंद्रित करना।
- हमेशा सीखते रहना।
निष्कर्ष
इसी के साथ यह Deep Work बुक समरी समाप्त होती है। अब बारी ज्ञान को समेटने और फिर से दोहराने की।
यहां हमने एक ऐसे फॉर्मूले के बारे में जाना जिसे हमारे पूर्वज आसानी से उपयोग करते थे और आज हम मुश्किल से। डीप वर्क फार्मूला के बारे में जानना ही, हमें ज्ञान के एक स्तर से दूसरे स्तर तक ले जाता है।
डीप वर्क फॉर्मूले के साथ ही बोरियत और सोशल मीडिया पर भी एक नजर डाली। ताकि हम हमारी सही और गलत की सोच पर दोबारा कार्य कर सकें।
अंतिम, पहलू में हमने प्राथमिकता के बारे में जाना। सफलता और असफलता बाद में आती है, पहले हमें अपनी प्राथमिकता का चुनाव करना होता है।
यह मेरी सोच है कि यह सभी विचार, हर किसी को अलग-अलग अनुभव देते है। अपने अनुभव संभलकर रखना, अपने बच्चों के लिए। ताकि जीवन के रहस्य बताते समय आपका मुख मौन न हो।