Men are From Mars, Women are From Venus Book Summary

Men are From Mars, Women are From Venus बुक संबंधों पर लिखी गई बेहतर किताबों में से एक है। यह बुक एक धारणा का उदाहरण देकर कि पुरुष मंगल गृह से आये है और महिलाए शुक्र गृह से, हमारे रिश्ते की साइकोलॉजी समझने में हमारी मदद करती है।

लेखक John Gray द्वारा लिखित Men are From Mars, Women are From Venus बुक हमें स्त्री-पुरुष के संबंधों को समझने की ओर ले जाती है। यह बुक बताती है कि क्यों हमारे रिश्ते प्यार और खुशी के साथ शुरू होते है और अंत में नफरत और दुःख के साथ ख़त्म हो जाते है। आखिर ऐसा क्यों होता है? और जो लोग अपने प्यार को जीवन भर बरकरार रखने में कामयाब होते है इसके पीछे का क्या रहस्य है?

Men are from Mars, Women are from Venus Book Summary

पुरुषों और महिलाओं में भिन्नता

हम जाने-अनजाने में यह मान लेते हैं कि अगर हमारा जीवन साथी हमसे प्रेम करता है, तो वह भी उसी तरह और उसी तरीके से व्यवहार करेगा, जैसे हम किसी से प्रेम करते समय करते हैं।

पुरुषों और महिलाओं के बीच मानसिक भिन्नताऐं इस प्रकार है

  • पुरुष गलती से समाधान पेश करते हैं और भावनाओं को महत्व नहीं देते, जबकि महिलाएं गलती से बिन मांगी सलाह देती हैं।
  • पुरुषों को ऐसे प्रेम की जरूरत होती है जो विश्वास करे, स्वीकार करे और प्रशंसा करे, जबकि महिलाओं को ऐसे प्रेम की आवश्यकता होती है जो समझे, प्रवाह करें और सम्मान दे।

जब हम अपनी-अपनी भिन्नताओं को समझने और स्वीकार करने की कोशिश करते हैं, तब हम एक-दूसरे को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। इस प्रकार, हमारे प्रेम और संबंधों को फलने-फूलने का मौका मिलता है।

श्रीमान समस्या सुझाने वाले और श्रीमती घर सुधार समिति

जब कोई महिला परेशान होती है, तब पुरुष झट से अपनी समाधान वाली टोपी पहनकर, उसे समाधान पेश कर देता है। और क्यों न करें, उसे लगता है कि महिला अपनी समस्या बता रही है तो उससे समाधान मांग रही है।

वही, जब कोई पुरुष परेशानी में होता है या गलती करता है, तब महिला अपनी गृह सुधार समिति बैठाती है। और उस समिति का एक ही लक्ष्य होता है, पुरुष को सुधारना।

पुरुषों को यह समझने की जरूरत है कि महिलाएं उन्हें बेहतर बनाने के लिए ही सुधारने का प्रयास करती है।

महिलाओं को यह समझने की जरूरत है कि पुरुषों के लिए समाधान और कामों में सुधार करना महत्वपूर्ण होता है। इसलिए जब पुरुष अपना समाधान पैस करता है, तो सुन ले नाकि उसकी आलोचना करने की कोशिश करें।

पुरुषों और महिलाओं के समस्या से निपटने के तरीके

पुरुष अपनी समस्याओं के बारे में खुल कर बाते नहीं करते। उन्हें लगता है कि वे समस्याओं को अकेले सुलझा सकते है। इसलिए वे अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए अपनी गुफा में चले जाते है या अकेले समय बिताते है।

वहीं, महिलाएं अपनी समस्याओं के बारे में खुल कर बात करना पसंद करती है। वे अपने किसी विश्वसनीय व्यक्ति को अपनी बात सुनाकर राहत महसूस करती है।

पुरुषों को यह समझने की आवश्यकता है कि जब महिलाएं अपनी समस्याओं के बारे में बात करती हैं, तो उनका उद्देश्य समाधान नहीं होता, बल्कि राहत पाना होता हैं।

महिलाएं यह समझ सकती हैं कि पुरुष अपनी समस्याओं को अकेले सुलझा सकते है। वे पुरुषों को समय दे सकती हैं, जिससे वे अपनी गुफा से बाहर निकल सकें और समाधान पर विचार कर सकें।

विपरीत सेक्स को प्रेरित करने के तरीके

पुरुषों को प्रेरणा तब मिलती है जब उन्हें यह महसूस होता है कि महिलाएं उन्हें जरूरतमंद मानती हैं और उन पर भरोसा करती हैं। इसके विपरीत, महिलाएं तब प्रेरित होती हैं जब उन्हें यह महसूस होता है कि उनसे सच्चा प्रेम किया जा रहा है।

जब पुरुषों को यह लगता है कि वे किसी रिश्ते में महत्वपूर्ण हैं और उनकी आवश्यकता है, तो उनकी ऊर्जा और प्रेरणा बढ़ जाती है। वही, महिलाओं को प्यार और सम्मान मिलता रहे, तो वे रिश्ते में अधिक योगदान देने के लिए प्रेरित रहती हैं।

दोनों की अलग-अलग भाषाएँ

पुरुषों और महिलाओं के बीच बातचीत के तरीके अलग होते हैं, और यही कारण है कि वे अक्सर एक-दूसरे की बातों को गलत समझ लेते हैं।

पुरुष चाहते हैं कि उन पर विश्वास किया जाए। जब वे किसी समस्या के बारे में बताते हैं, तो उन्हें यह महसूस हो कि वे स्थिति को संभाल सकते हैं।

महिलाएं अपनी भावनाओं को साझा करने और परवाह दिखाने के रूप में अपनी जरूरतों को व्यक्त करती हैं। जब पुरुष इन भावनाओं को ठीक से नहीं समझ पाते, तो उन्हें लगता है कि वे उन्हें दोष दे रहे है।

जब भी गलतफहमी उत्पन्न हो, तो यह समझना है कि पुरुष और महिलाएं अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं। इसलिए, एक-दूसरे के शब्दों का सही अर्थ समझने के लिए थोड़ा समय और अभ्यास करना है।

पुरुष रबर बैंड जैसे, महिलाएँ लहरों जैसी

पुरुषों को कभी-कभी अपने व्यक्तिगत दुरी की जरूरत होती है, और जब वे इस दूरी को अपनाते हैं, तो महिला को यह समझने में मुश्किल हो सकती है कि यह दूरी कुछ समय की होती है।

महिलाओं का मूड उनके आंतरिक भावनात्मक चक्र से जुड़ा होता है। जब वे प्रेम, देखभाल और समर्थन महसूस करती हैं, तो उनका आत्मगौरव और भावनाएं ऊपर उठती हैं।

पुरुषों को यह करना है कि जब वे दूरी बना रहे होते हैं, तो वे अपनी महिला से यह स्पष्ट करें कि यह दुरी कुछ समय के लिए है और वे फिर से करीब आएंगे।

पुरुषों को यह समझाना है कि महिलाओं का मूड बदलने का कोई खास कारण नहीं होता, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

दोनों की भावनात्मक आवश्यकताएँ

पुरुष और महिलाएँ भावनात्मक रूप से भिन्न होती हैं। पुरुष वही देते हैं जो वे स्वयं चाहते हैं, और महिलाएँ भी वही देती हैं जो वे स्वयं चाहती हैं। यह गलतफहमी असंतोष का कारण बनती है।

पुरुषों को विश्वास, स्वीकृति, सराहना, प्रशंसा, समर्थन और प्रोत्साहन की जरूरत होती है, जबकि महिलाओं को परवाह, समझ, सम्मान, निष्ठा, मान्यता और आश्वासन की।

जब पुरुष परवाह दिखाते हैं, तो महिलाएँ उन्हें विश्वास और स्वीकृति देती हैं, और जब महिलाएँ भरोसा जताती हैं, तो पुरुष उनकी अधिक परवाह करने लगते हैं।

यदि पुरुष महिलाओं की भावनात्मक आवश्यकताओं को समझें और महिलाएँ पुरुषों में विश्वास रखें, तो दोनों का रिश्ता मजबूत और सुखद बन सकता है।

बहस से कैसे बचें

बहस न केवल हमारी भावनाओं को आहत करती है, बल्कि रिश्तों को भी नुकसान पहुँचाती है। किसी भी रिश्ते की नींव आपसी समझ और सम्मान पर टिकी होती है।

जब बहस बढ़ जाती है, तो यह रिश्तों में दरार पैदा कर सकती है और दोनों पक्षों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

बहस से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बाते इस प्रकार है

  1. सही तरीके से बातचीत करना।
  2. टाइम-आउट लेना।
  3. एक-दूसरे को समझें।
  4. सुनने की आदत डालें।
  5. व्यक्तिगत हमले न करें।
  6. बातचीत के लिए सही समय निकालना।

जब हम इन तरीकों को अपनाते हैं, तो हम न केवल बहस से बचते हैं, बल्कि अपने रिश्ते को और भी मजबूत बना सकते हैं।

अपनी पत्नी या पति को खुश कैसे करें

रिश्ते में संतुलन बनाए रखने और एक-दूसरे को खुश रखने के लिए छोटी-छोटी चीजों का बहुत महत्व होता है। पुरुषों को महिलाओं के लिए निरंतर छोटे प्रयास करने है, और महिलाओं को इन प्रयासों की सराहना करनी है।

पुरुष आमतौर पर बड़ी चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि महिलाओं के लिए छोटी-छोटी चीजें भी उतनी ही मायने रखती हैं जितनी की बड़ी चीजें।

रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए दोनों को एक-दूसरे की जरूरतों को समझना और उन्हें पूरा करने की कोशिश करनी है। प्यार, समर्थन और संवाद से ही रिश्तों को खुशहाल बनाया जा सकता है।

मुश्किल भावनाओं को बताने के तरीके

बचपन में यदि हमें प्रेमपूर्वक बातचीत करना नहीं सिखाया गया, तो बड़े होकर भावनाओं को व्यक्त करना कठिन हो सकता है। जब नकारात्मक भावनाएँ दबी रह जाती हैं, तो वे असंतोष, तनाव और गलतफहमियों को जन्म देती हैं।

लिखकर व्यक्त करें:

  • यदि किसी से सीधे बात करना कठिन लगे, तो अपनी भावनाएँ लिखें।
  • एक पत्र लिखें, जिसमें क्रोध, दुख, डर, अफसोस और प्रेम को व्यक्त करें।
  • चाहें तो यह पत्र भेजने की बजाय खुद के लिए भी लिख सकते हैं, ताकि मन हल्का हो।

भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त करना आत्म-विकास और बेहतर रिश्तों की नींव है। इसे अपनाकर आप अपनी मानसिक शांति और संबंधों की गहराई को बढ़ा सकते हैं।

प्यार के जादू को जिंदा कैसे रखें

हर रिश्ते की तरह, प्रेम भी एक बगीचे की तरह होता है। इसे हरा-भरा बनाए रखने के लिए नियमित देखभाल, समझदारी और भावनात्मक पोषण की जरूरत होती है।

प्यार के भी अलग-अलग मौसम होते हैं, जिन्हें समझना और स्वीकार करना ज़रूरी है;

  • बसंत/शुरुआत का समय–यह प्यार का सबसे खूबसूरत समय होता है, जब हर चीज़ परफेक्ट लगती है।
  • ग्रीष्म/चुनौतियों का दौर–जब हमें एहसास होता है कि हमारा पार्टनर उतना आदर्श नहीं है, जितना हमने सोचा था।
  • शरद/संतुष्टि का समय–जब हम रिश्ते में स्थिरता और समृद्धि महसूस करते हैं।
  • शीतकाल/संघर्ष और आत्मविश्लेषण–जब रिश्ते में ठंडापन या दूरी महसूस होती है, यह समय खुद को और एक-दूसरे को समझने का होता है।

END

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