"Reminiscences Of a Stock Operator" बुक समरी में हम ट्रेडिंग का मनोविज्ञान, ट्रेडिंग VS इन्वेस्टिंग, मार्केट मैनिपुलेशन, रिस्क और पोजीशन को मैनेज करना और लगातार सीखना के बारे में जानेंगे।
लेखक Edwin Lefevre द्वारा लिखित "Reminiscences Of a Stock Operator" बुक एक सफल ट्रेडर Jesse Livermore की बायोग्राफी बताती हैं। इस बुक में, हम जेसी की ट्रेडिंग लाइफ के वे सबक सीखने को मिलेंगे जो उन्होंने ट्रेडिंग सफलता के लिए उपयोग किए हैं, जिनमें ट्रेडिंग साइकोलॉजी, ट्रेडिंग सिस्टम, भावनाओं को मैनेज करना, मार्केट को टीचर मानकर सीखना और भी बहुत कुछ शामिल हैं। यह बुक ट्रेडिंग का dark पहलु भी हमारे सामने रखती है।
एक सफल ट्रेडिंग बुक लिखने के लिए, हमें पहले एक सफल ट्रेडर बनना पड़ता है। उसी प्रकार सफलता हासिल करने के लिए हमें सफल लोगों से सीखना और उनकी बुक पढ़नी होंगी, ताकि आने वाली परिस्थितियों की कुछ जानकारी हो।
![]() |
Reminiscences of a Stock Operator Book Summary Hindi |
ट्रेडिंग की साइकोलॉजी
ट्रेडिंग साइकोलॉजी ट्रेडिंग में profit-loss को स्वीकार करने, और दोनों के साथ एक सा व्यवहार करने से विकसित होती है।
जेसी की ट्रेडिंग लाइफ से मिलने वाली पहली सीख यह है कि ट्रेडिंग एक भावनात्मक खेल है, जिसमें प्रॉफिट और loss के प्रति इमोशनल रिएक्शन, मार्केट में कुछ समय के उतार-चढ़ाव का कारण बनते हैं। और एक ट्रेडर इन उतार-चढ़ाव पर अपने सिस्टम के अनुसार रियेक्ट करता है और पैसे बनाता हैं।
ट्रेडिंग साइकोलॉजिकल चुनौतियों इस प्रकार है जो हमें गलत ट्रेडिंग decisions की ओर ले जाती हैं।
- पैसे खोने का डर।
- प्रॉफिट चले जाने का डर।
- अधिक कमाने का लालच।
- कुछ ट्रेड सही होने पर अति आत्मविश्वास।
इन साइकोलॉजिकल चुनौतियों से निपटने के लिए डिसिप्लिन और इमोशनल कंट्रोल की आवश्यकता होती हैं। डिसिप्लिन हमें ट्रेडिंग रूल्स फॉलो करने के लिए force करता है और इमोशनल कंट्रोल, हमें भावनात्मक ट्रेडिंग करने से बचाता हैं।
जेसी हमें यह भी बताते है कि कोई बुक हमें ट्रेडिंग का मनोविज्ञान नहीं सीखा सकती, वह केवल बताती है कि यह है ट्रेडिंग का मनोविज्ञान। लेकिन अनुभव, दर्द के साथ सिखाता हैं। इसलिए जेसी हमें मार्केट में छोटा पैसा लगाकर अनुभव और साइकोलॉजी सीखने पर जोर देते हैं।
ट्रेडिंग VS इन्वेस्टिंग
एक असफल ट्रेडर सोचता है कि उसे हर दिन ट्रेड लेना होगा, वही सफल ट्रेडर सोचता है कि उसे तभी ट्रेड करना होगा जब उसका सिस्टम उसे ट्रेड दें।
मार्केट से पैसा बनाने के प्रति हम सभी की मानसिकता अलग-अलग होती है। जैसे कुछ लोग कम समय में बहुत अच्छा रिटर्न बना सकते हैं, कुछ लोग लंबे समय में। और कुछ लोग अपने ज्ञान से शॉर्ट और लॉन्ग टर्म दोनों समय में पैसा बना सकते हैं।
ट्रेडिंग शॉर्ट टर्म गेम है, और निवेश एक लॉन्ग टर्म। अगर इसमें समय बदलता है और मानिसकता नहीं बदलती है तो हम न ट्रेडिंग से पैसा बना सकते हैं और ना ही निवेश से।
यह बुक हमें एक ट्रेडर की साइकोलॉजी समझने में मदद करती हैं, क्योंकि जेसी ने निवेश पर बहुत कम काम किया हैं। उन्होंने अपना अधिकांश पैसा स्टॉक और कमोडिटी में ट्रेडिंग करके ही बनाया हैं।
एक ट्रेडर न्यूज़, कंपनी की ग्रोथ, इन्वेस्टर रिएक्शन और टेक्निकल अनालिसिस से, कम समय में होने वाले उतार चढ़ाव से पैसा बनाता है। लेकिन उसके लिए एक ट्रेडर के पास एक ट्रेडिंग सिस्टम होना जरुरी है।
सिस्टम हमें ट्रेडिंग से पैसे बनाने में मदद करता हैं न कि हमारी भावनाएं। जेसी भी ट्रेडिंग करने के लिए अपने रूल्स और कानून बनाते थे, और अपने रूल्स पर ट्रेड करने के लिए कई दिनों तक इंतजार करते थे। तभी उन्हें वह सफल ट्रेड मिलता था जिससे वे पैसा बनाते थे।
मार्केट मैनिपुलेशन
हर हिस्सें के दो पहलू होते है, एक नियम के साथ और दूसरा नियम के बिना। मार्केट में इन्हीं दो नियमों से पैसा बनता है। नियम के साथ चलने के लिए, हमें स्टॉक मार्केट में रूल्स फॉलो करने होंगे। ताकि हमारा ट्रेडिंग करना कानूनन सही हो और हम पर कोई action न लिया जाएं।
लेकिन हर कोई नियम को अपने अनुसार फॉलो करता है, और जिन लोगों पर पैसे का जुनून सवार हो, वे नियम में भी कमियां ढूढ़ ही लेते है। इसलिए जेसी हमें सलाह देते है कि ट्रेडिंग के डार्क हिस्सें को अपने ऊपर हावी न होने दें।
मार्केट सूचनाओं से चलता है लेकिन जिनके पास पैसा है वे सूचनाओं में हेराफेरी करके भी पैसा कमा सकते हैं। जेसी के साथ ऐसा कई बार हुआ है जैसे उनके ब्रोकर ने ट्रेड को मार्क नहीं किया, लगातार पैसे बनाने पर उन्हें ट्रेडिंग नहीं करने दिया गया आदि।
इनसे बचने ले लिए, जेसी अपने ट्रेडिंग डिसीजन स्वयं लेने पर जोर देते है। और किसी भी टिप पर आँख-मुद कर भरोसा न करने की सलहा देते है। अगर हमें कोई टिप मिलती है तो उस पर पूरी रिसर्च करने के बाद ही हमें कोई डिसीजन लेना है, साथ ही हमें अपने रिस्क मैनेजमेंट को भी नहीं भूलना है।
रिस्क और पोजीशन को मैनेज करना
पोजीशन साइजिंग हमारी पैसे कमाने और खोने की क्षमता है, और रिस्क मैनेजमेंट पैसे खोने की क्षमता को कण्ट्रोल करता है।
अगर हमनें ट्रेडिंग करने का मन बना लिया है तो हमें अब हमें रिस्क मैनेजमेंट भी सीखना होगा। बिना रिस्क मैनेजमेंट के हम ट्रेडिंग से पैसा नहीं बना सकते है। क्योंकि ट्रेडिंग में हमें कम समय में एंट्री और एग्जिट करना होता है।
जेसी भी अपने रिस्क मैनेजमेंट पर हमेशा ध्यान देते है जैसे एक निश्चित लेवल से निचे जाने पर वे अपनी पोजीशन को छोड़ देते थे, वे कभी-भी overconfident में आकर अपनी पोजीशन के साथ चिपके नहीं रहते थे।
ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट के साथ पोजीशन मैनेजमेंट भी जरुरी है। पोजीशन मैनेजमेंट हमारी खरीदने की क्षमता से लेकर पैसे बनाने और रिस्क मैनेज करने तक, हर चीज पर असर डालती है। हम कितना रिस्क ले सकते है, उसके अनुसार ही हमारी पोजीशन साइजिंग रखना है।
रिस्क को मैनेज करने के लिए हमारे पास एक सिस्टम जरूरी है, जो हमारे आईडिया को एक systematic तरीके से मार्केट में execute कर सकें। और पोजीशन साइज को मैनेज करने के लिए हमें अपना रिस्क पता करना होगा, ताकि हम उतना ही बड़ा रिस्क ले जितना हम झेल सकते हैं।
लगातार सीखना
क्योंकि सीखना केवल जीवित लोगों का काम है, मरे हुये को नींद ही प्यारी लगती है।
ट्रेडिंग की field में अगर हमें सफल होना है तो हमें सिखने से नाता जोड़ना पड़ेगा। हमें वे बहाने छोड़ने होंगे जो हम स्कूल के समय बनाते थे जैसे मुझे किताब खोलते ही नींद आ जाती है, मुझे पढ़ना अच्छा नहीं लगता, मैं बोर हो जाता हु या पढ़ाई बोरिंग है आदि।
स्टॉक मार्केट एक ऐसी जगह है जहां हर दिन कुछ नया होता रहता है। जैसे जेसी के समय ट्रेडिंग के नियम अलग थे, और आज भी अलग है। आज बदलते समय के साथ अधिकतर लोग मार्केट की ओर जा रहे है, और ट्रेडिंग करने के नियम और मार्केट के उतार-चढ़ाव में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
ऐसी परिस्थिति में हमें भी, हो रहे बदलावों के प्रति सचेत रहना होगा, और खुद को और अपने सिस्टम को बदलते मार्केट से साथ अपडेट करते रहना है।
खुद को अपडेट करने के लिए हम किताबें पढ़ सकते है, अपनी पुरानी ट्रेडिंग गलतियों को सुधार सकते है, अपने माइंड को relax करने के लिए छुटियाँ मनाने जा सकते हैं, आदि।
निष्कर्ष
"Reminiscences Of a Stock Operator" बुक समरी में हमने पांच महत्वपूर्ण बातें सीखी जो इस प्रकार है;
- ट्रेडिंग एक मनोवैज्ञानिक खेल है इसमें हमारी ट्रेडिंग साइकोलॉजी सफलता में अधिक योगदान देती है।
- ट्रेडिंग और निवेश में केवल मानसिकता का फर्क होता है।
- कुछ लोग मार्केट में अफवाहें फैला कर भी पैसे बना सकते हैं।
- हमें ट्रेडिंग से पैसे बनाने के लिए रिस्क मैनेजमेंट के साथ पोजीशन मैनेजमेंट भी आना सीखना होगा।
- मार्केट लगातार बदलता रहता है इसलिए हमें अपने सिस्टम को और खुद को भी अप-टू-डेट रखना होगा।