New Trader Rich Trader Book Summary

New Trader Rich Trader बुक अनेक ट्रेडिंग नियमों को उजागर करती है। ये सभी ट्रेडिंग नियम एक ट्रेडर के लिए ट्रेडिंग की परिस्थितियों को जानना आसान कर देते है। अगर हम एक बिगनेर ट्रेडर है तो इस बुक को पढ़कर अपने लर्निंग पीरियड को कम कर सकते है।

लेखक Steve Burns And Holly Burns द्वारा लिखित New Trader Rich Trader बुक ट्रेडिंग की दुनिया में अपनी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक गाईड के रूप में काम करती है। यह बुक हमें सफल ट्रेडर्स की मानसिकता को समझने में मदद करती हैं। यह बुक हमें बेसिक ट्रेडिंग से लेकर एडवांस ट्रेडिंग तक की मानसिकता और रिस्क मैनेजमेंट के बारे में भी बहुत कुछ सिखाती है।

New Trader Rich Trader Book Summary


ट्रेडिंग साइकोलॉजी

1-रिटर्न के प्रति उम्मीदें

न्यू ट्रेडर्स मार्केट से अवास्तविक उम्मीदें रखते हैं। रिच ट्रेडर्स अपने रिटर्न के प्रति वास्तविक होते हैं।

न्यू ट्रेडर्स के पास एग्जिट स्ट्रेटेजी न होने के कारण, उन्हें यह नहीं पता होता कि मार्किट से कितने प्रॉफिट की उम्मीद करनी है और कितना लॉस होने पर ट्रेड छोड़ देना है।

वही रिच ट्रेडर्स मार्केट से अनुभव लेकर काम करते हैं। उनके पास अपना सिस्टम और नियम होते है जो उन्हें मार्केट में बने रहने और एग्जिट करने में मदद करते है।

2-तनाव का प्रभाव

न्यू ट्रेडर्स तनाव के कारण गलत निर्णय लेते हैं। रिच ट्रेडर्स तनाव को मैनेज करते हैं।

न्यू ट्रेडर्स को यह नहीं पता होता कि उन्हें तनाव क्यों होता है? इसलिए वह इसका शिकार हो जाता है।

वही रिच ट्रेडर्स को पता होता है कि तनाव क्यों होता है और इसे कैसे मैनेज किया जाता है?

वे तनाव होने पर ट्रेडिंग बंद कर देते है, और अपने सिस्टम को टेस्ट करते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी पोजीशन बड़ी है तो कम करते हैं। अपनी गलतियों को सुधारने के बाद ट्रेडिंग में दोबारा से ट्रेड करने के लिए तैयार होते हैं।

3-धैर्य और लगतार एक्शन

न्यू ट्रेडर्स इंतजार करना पसंद नहीं करते और लगातार एक्शन की तलाश में रहते हैं। रिच ट्रेडर्स धैर्य रखते हैं और एंट्री और एग्जिट संकेतों की प्रतीक्षा करते हैं।

4-लालच और भय

न्यू ट्रेडर्स ट्रेड करते हैं क्योंकि वे अपने स्वयं के लालच और भय से प्रभावित होते हैं। रिच ट्रेडर्स एक ट्रेडिंग प्लान का प्रयोग करते हैं।

एक न्यू ट्रेडर अधिक प्रॉफिट बनाने या पिछले लॉस को कवर करने की भावना लेकर ट्रेडिंग करने जाता है। वहीं रिच ट्रेडर अपने सिस्टम को लेकर ट्रेडिंग करने जाते हैं।

5-मार्किट में लगातार सीखना

न्यू ट्रेडर्स सीखना चालू न रखने के कारण सफल नहीं होते हैं। जबकि रिच ट्रेडर्स मार्केट के बारे में हमेशा सीखते रहते है।

न्यू ट्रेडर्स थोड़ा बहुत सीखने के बाद सीखना चालू नहीं रखते हैं। उन्हें लगता है कि वे सब कुछ सीख गये हैं, उन्हें सब कुछ पता हैं।

वही रिच ट्रेडर्स लगातार सीखते है। क्योंकि वे जानते हैं कि मार्केट इतना बड़ा है कि इसमें कोई भी महारत हासिल नहीं कर सकता।

ट्रेडिंग रिस्क मैनेजमेंट

6-ट्रेडिंग व्यवहार

न्यू ट्रेडर्स जुआरियों की तरह व्यवहार करते हैं। रिच ट्रेडर्स बिजनेसमैन की तरह काम करते हैं।

न्यू ट्रेडर्स के पास कोई सिस्टम नहीं होता है। इसलिए वे कहीं पर भी एंट्री-एग्जिट करते हैं। यह एक gambling की तरह होता है।

वही रिच ट्रेडर्स अपने ट्रेडिंग को एक बिजनेस की तरह लेते हैं, और इसके लिए अपने बिजनेस प्लान बनाते हैं।

7-ट्रेडिंग quantity का मैनेजमेंट

न्यू ट्रेडर्स मार्केट को देखकर ट्रेडिंग करते है। रिच ट्रेडर्स सावधानी से ट्रेडिंग quantity को नियंत्रित करते हैं।

न्यू ट्रेडर्स मार्केट को देख कर ट्रेडिंग करते हैं। वे मनी मैनेजमेंट, रिस्क मैनेजमेंट पर कोई ध्यान नहीं देते हैं।

वही रिच ट्रेडर्स ट्रेड करने से पहले अपने रिस्क और संभावनाओं को देखकर ट्रेड लेते हैं।

8-ट्रेडर्स की प्राथमिकता

न्यू ट्रेडर्स के लिए बड़ा प्रॉफिट पहली प्राथमिकता है। रिच ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट पहली प्राथमिकता है।

न्यू ट्रेडर्स प्रॉफिट के बारे में सोच कर ट्रेड लेते है। वे यह नहीं सोचते कि उन्हें लॉस भी हो सकता है।

वही रिच ट्रेडर्स लॉस के बारे में सोच कर ट्रेड लेते है। वे देखते है कि उन्हें कितना लॉस हो सकता है और जो लॉस होगा, क्या वे उसे झेल पाएंगे या नहीं?

9-स्वीकार करना

न्यू ट्रेडर्स यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि वे सही है। रिच ट्रेडर्स स्वीकार करते हैं जब वे गलत होते हैं।

न्यू ट्रेडर्स अपनी गलती को स्वीकार नहीं कर पाते है और वे ट्रेड में बने रहते हैं। जिससे उन्हें और अधिक लॉस होता है। वही रिच ट्रेडर्स टेक्निकल सिंगल बदल जाने पर उस ट्रेड को छोड़ देते हैं, चाहे वह प्रॉफिट में हो या लॉस में।

10-एग्जिट स्ट्रेटेजी

न्यू ट्रेडर्स के पास एग्जिट स्ट्रेटेजी ना होने के कारण उनका प्रॉफिट कम हो जाता है। रिच ट्रेडर्स ट्रेड में रहते हुए अपने प्रॉफिट को लॉक कर देते हैं।

स्टॉक मार्केट में सही समय पर एंट्री और सही समय पर एग्जिट करना होता है, नहीं तो आया हुआ पैसा भी चला जाता है और मार्केट हमारी जेब से भी लेकर जाता है।

न्यू ट्रेडर्स इस बात को नहीं जानते हैं इसलिए उनके पास एग्जिट प्लान नहीं होता। वही रिच ट्रेडर्स के पास एक एग्जिट प्लान होता है, जिसके कारण वे अपने प्रॉफिट को सही समय पर ले लेते है या लॉक कर देते है।

ट्रेडिंग प्रोसेस

11-सफलता तक टिके रहना

अधिकांश न्यू ट्रेडर्स ट्रेडिंग छोड़ देते हैं जबकि रिच ट्रेडर्स मार्केट में तब तक बने रहते हैं जब तक की वे सफल नहीं हो जाते।

न्यू ट्रेडर्स लॉस करने के बाद मार्केट को छोड़ देते है। वही रिच ट्रेडर्स लॉस करने के बाद मार्केट से कुछ समय का ब्रेक लेते हैं और खुद को अपडेट करते हैं।

12-अधिकतर जीतने वाला सिस्टम

जब न्यू ट्रेडर्स को किसी सिस्टम से नुकसान होता है तो वे एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम पर जाते रहते हैं। रिच ट्रेडर्स हारने पर भी अपने अधिकतर जीतने वाले सिस्टम के साथ बने रहते हैं।

13-संभावनाओं में ट्रेड करना

न्यू ट्रेडर्स सोच के आधार पर ट्रेड करते हैं। रिच ट्रेडर्स संभावनाओं के आधार पर ट्रेड करते हैं।

न्यू ट्रेडर्स अपनी भावनाओं के कारण ट्रेड करते हैं। उनको लगता है कि मार्केट ऊपर जाएगा या नीचे जाएगा। जिसके कारण वे इस प्रकार की प्रक्रिया से बच नहीं पाते हैं।

वही रिच ट्रेडर्स टेक्निकल सिस्टम को ध्यान में रखकर ट्रेड करते हैं। वे ट्रेड लेने से पहले अपनी एंट्री, एग्जिट और टारगेट पर ध्यान देते है।

14-मार्केट के अनुसार ट्रेड करना

न्यू ट्रेडर्स भविष्यवाणी करने की कोशिश करते हैं। रिच ट्रेडर्स, मार्केट जो कहता है उसका पालन करते हैं।

न्यू ट्रेडर्स मार्केट का भविष्य बताने की कोशिश करते हैं, वे बताते हैं कि कल मार्केट ऊपर जाएगा या नीचे जाएगा या gapup होगा। हम सभी जानते हैं कि भविष्यवाणी 10 में से केवल दो या तीन ही सही हो होती है।

वही रिच ट्रेडर्स मार्केट के ट्रेंड को फॉलो करते हैं। वे इस बात में विश्वास रखते है कि कोई किसी का भविष्य नहीं बता सकता।

15-ट्रेंड फॉलो करना

न्यू ट्रेडर्स ट्रेंड के विपरीत ट्रेडिंग करते हैं। रिच ट्रेडर्स मार्केट के ट्रेंड को फॉलो करते हैं।

न्यू ट्रेडर्स जाने अनजाने में मार्केट के ट्रेंड के विपरीत काम करते हैं उन्हें यह नहीं पता होता कि अधिकतर समय मार्केट अपने ट्रेंड के साथ ही जाता है।

वही रिच ट्रेडर्स को अनुभव होता है इसलिए वे मार्केट के ट्रेंड को फॉलो करते है और अधिकतर समय पैसे बनाते हैं।

16-सिस्टम के अनुसार ट्रेड लेना।

न्यू ट्रेडर्स उनके भावनाओं के साथ काम करते हैं जो उन्हें नुकसान करवाती है। रिच ट्रेडर्स उन सिस्टम को फॉलो करते हैं जो उन्हें प्रॉफिट देता है।

17-एग्जिट सिस्टम फॉलो करना।

न्यू ट्रेडर्स को पता नहीं होता कि कब लॉस कम करना है या कब लाभ लेना है। रिच ट्रेडर्स के पास एक एग्जिट सिस्टम होता है।

18-लॉस को कम करना।

न्यू ट्रेडर्स अपने प्रॉफिट को ले लेते है और लॉस को चलने देते है। रिच ट्रेडर्स प्रॉफिट को चलने देते हैं और लॉस को ले लेते हैं।

न्यू ट्रेडर्स अपने प्रॉफिट को ज्यादा लंबे समय तक चलने नहीं देते और losses को कम समय में काटते नहीं है जिसके कारण उन्हें छोटा प्रॉफिट और बड़ा लॉस मिलता है।

वही रिच ट्रेडर्स अपने प्रॉफिट को चलने देते हैं पर अपने लॉस को काट देते हैं जिसके कारण उन्हें बड़ा प्रॉफिट होता है और छोटा लॉस होता है।


END

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