How to Win Friends and Influence People Book Summary

"लोक व्यवहार प्रभावशाली व्यक्तित्व की कला" बुक को पढ़कर हम अपने व्यवहार को बदलना सीख सकते है जिससे हम लोगो में अपनी लोकप्रियता बढ़ा सकते है और साथ ही एक अच्छा लीडर बन सकते है।

लेखक Dale Carnegie द्वारा लिखित "How To Win Friends And Influence People" किताब लोगों के साथ व्यवहार करने की कला बेहतर करने की ले जाती हैं। यह बुक इस बात पर जोर देती हैं कि अगर हम जीवन को बेहतर ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं, तो हमें सुनने, बोलने, और सीखने की कला को बेहतर करना होगा। क्योंकि जीवन के हर पल पर, हम कभी सीखने की, तो कभी सीखाने की भूमिका में होते हैं।

How to Win Friends and Influence People Book Summary

लोगों से व्यवहार के तरीके

आलोचना, निंदा और शिकायत ना करें।

हमें किसी की आलोचना करने से बचना है। क्योंकि आलोचना करने से गलती करने वाला अपनी गलती को सुधारता नहीं हैं। और एक बात यह भी है कि बहुत कम लोग अपने कामों में गलतियों को देख पाते है।

आलोचना से ज्यादा बेहतर है कि हम यह समझे कि 'अगर हम उनके जैसी स्थति में होते, तो शायद उनके जैसे ही होते।

ईमानदारी और सच्चाई से तारीफ करना।

प्रशंसा के बिना हमारा व्यवहार अधूरा होता है। इसलिए दिल खोलकर तारीफ और उदारता से प्रशंसा करना है ताकि लोग हमारे शब्दों को दिल में बसा लेंगे।

तारीफ के बिना लोग हमारे बारे में यही बोलेंगे कि 'मैंने एक बार गलती की और बार-बार सुनना पड़ा, और मैंने दो बार सही काम किया, पर उस बारे में कभी नहीं सुना।'

दूसरे इंसान में तीव्र इच्छा जगाइए।

इस धरती पर लोगों को प्रभावित करने का एक ही तरीका है। वह यह है कि लोगों की चाहत के बारे में बात की जाए और उसे पाने का तरीका दिखाया जाए। इसके लिए जरुरी है कि हम अपनी नजरों के साथ-साथ दूसरे इंसान की नजरों से भी चीजों देखना सीखें।

लोगों को पसंद आने तरीके

लोगों में सच्ची दिलचस्पी रखिए।

जो इंसान दूसरों में दिलचस्पी नहीं रखता, उसे सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और वह दूसरों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। ऐसे ही इंसानों से मनुष्य की सफलताएं दूर चली जाती है।

इसलिए सक्रिय रूप से दूसरों की बाते सुनें, उनकी रुचियों के बारे में जिज्ञासा दिखाएं और उनके जीवन में अपनी सच्ची रुचि दिखाने के लिए खुले प्रश्न पूछें।

मुस्कुराएं।

एक साधारण मुस्कान दूसरों को सहज महसूस कराने और उनकी सराहना करने में काफी मदद करती है। यह गर्मजोशी और मित्रता का एक सार्वभौमिक संकेत है।

जो लोग मुस्कुराते हैं, वे चीजों को बेहतर ढंग से मैनेज करते हैं, पढ़ाते हैं, बेचते हैं, और ज्यादा खुश बच्चों का पालन पोषण करते हैं। मुस्कान में रूखेपन से ज्यादा सूचना होती है। इसलिए सजा से ज्यादा प्रोत्साहन से सिखाया जा सकता है।

नाम का जादू।

याद रखिए कि किसी इंसान का नाम उसके लिए किसी भी भाषा में सबसे मधुर और जरूरी आवाज है।

बातचीत में किसी के नाम का उपयोग करने से उन्हें महत्वपूर्ण और मूल्यवान महसूस होता है। अगर किसी का यूनिक नाम है तब तो, हमें अवश्य याद करना होगा, क्योंकि ऐसे लोग अपना नाम सुनना ज्यादा पसंद करते है।

एक अच्छे श्रोता बनें।

सबसे ज्यादा हिंसक आलोचक भी शांत हो जाता है। अगर वह एक धैर्य और सहानुभूति वाले श्रोता के पास हो, एक ऐसा श्रोता जो शांत हो भले ही दोष निकालने वाला इंसान किंग कोबरा की तरह जहर उगल रहा हो।

दूसरे इंसान की दिलचस्पी के हिसाब से बात करें।

किसी भी इंसान के दिल का रास्ता उन चीजों पर बात करने से खुलता है, जो चीज उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

अपनी बातचीत को उन विषयों के अनुरूप बनाएं, जिनमें दूसरे व्यक्ति की रुचि हो। इससे यह पता चलता है कि हम उनकी प्राथमिकताओं और मूल्यों की परवाह करते हैं।

सामने वाले इंसान को महत्वपूर्ण महसूस कराएं।

हर कोई अपने बारे में बात करना चाहेगा, अगर उन्हें कोई सुनने वाला मिल जाए तो।

दूसरों की ईमानदारी से प्रशंसा करें, उनकी उपलब्धियों को स्वीकार करें। इससे उनका आत्म-सम्मान बढ़ता है और लोग हमें पसंद भी करते हैं।

अपनी सोच की ओर लाना

बहस न करना।

हम बहस करते है तो हम कभी-कभी जीत सकते है, पर यह जीत खोखली होगी, क्योंकि समने वाला व्यक्ति अपने नजरिये को बदलने की जगह, वह हमारा विरोद्ध करेंगा।

नफरत कभी नफरत से नहीं, प्यार से खत्म होती है और आपसी गलतफहमी कभी बहस से नहीं, बल्कि समझदारी, थोड़ा झुकने और दूसरे के नजरिये के प्रति सहानुभूति भरी इच्छा से खत्म होती है।

दूसरे इंसान के नजरिए के प्रति सम्मान दिखाएं।

कभी ना कहे-"आप गलत हैं।"

अगर हम सिर्फ 55% मामलों में सही है, तो हम स्टॉक मार्केट से हर रोज एक मिलियन डॉलर कमा सकते हैं। और अगर हम खुद 55 प्रतिशत समय भी सही नहीं होते है, तो हमें दूसरों को गलत कहने का क्या अधिकार है?

अगर आप गलत है, तो तुरंत और खुशी-खुशी स्वीकार कर लीजिए।

अगर हमसे कोई गलती होती है तो उसे स्वीकार करना सीखना होगा। हम सभी से गलतियां होती हैं। गलतियों को छुपाने से यह और अधिक बड़ी हो जाती है।

अपनी गलतियों को स्वीकार करने का साहस अपने अंदर विकसित करें। यह न सिर्फ दोष और बचाव की भावना दूर करता है, बल्कि उस गलती से होने वाली समस्याओं को भी हल करता है।

दोस्ताना तरीके से शुरुआत कीजिए।

डाटने वाले माता-पिता, रोब दिखाने वाला पति और उलाहना देने वाली पत्नियों को यह समझना होगा कि लोग अपना मन नहीं बदलना चाहते। उनको हमसे सहमति रखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। पर हां, उनको अपनी सोच की तरफ लाया जा सकता है-अगर हम बहुत उदार और दोस्ताना हो तो।

दूसरे इंसान से तुरंत “हां-हां” कहलवाएं।

सुकरात का तरीका, जिसे अब सुकराति तरीके के नाम से जाना जाता है “हां-हां” की प्रक्रिया लाने पर आधारित था। वे ऐसे सवाल पूछते थे जिन पर उनके विपक्षी सहमति रखते थे।

इससे उनके विपक्षी उन चीजों को बिना किसी विरोद्ध के स्वीकार कर लेते है, जिसे कुछ समय पहले विरोद्ध कर रहे थे।

दूसरे इंसान को अपने बारे में ज्यादा बात करने दे।

हमारे दोस्त भी चाहेंगे कि हम अपनी सफलताओं के बारे में उन्हें बताने के बजाय उनकी सफलता के बारे में खुद सुनें।

हम सभी ज्यादा कर अपने बारे में बात करना पसंद करते हैं, क्योंकि हमारा स्वभाव यह बन गया है। हम यह भी सीख सकते हैं कि किस प्रकार हम दूसरों को बात करने दें। ताकि उनका दिल हल्का हो सकें।

दूसरे इंसान को महसूस करने दीजिए कि आइडिया उसी का है।

हम सभी अपने-अपने ज्ञान के बारे में दूसरों को यह महसूस कराना चाहते हैं कि हमारे पास उनसे अधिक है।

अगर हम लोगों को अपनी सोच की तरफ लाना या किसी आइडिया पर मनवाना चाहते है तो उन्हें यह महसूस कराना होगा कि यह आइडिया उन्हीं का है और वे इसे अपने अनुसार बेहतर कर सकते है।

दूसरे इंसान के नजरिए से चीजों को ईमानदारी से देखें।

हम सभी का, देखने का नजरिया अलग-अलग होता है। जो चीज किसी को सफल बनाती है वह चीज किसी को असफल भी बना सकती है।

अगर हम दूसरों के नजरिये से भी देखना सीखते है, तो हमारे पास चीजों को देखने के एक से अधिक नजरिये होंगे और हम चीजों को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।

दूसरे इंसान के आइडियाज और इच्छाओं के प्रति सहानुभूति रखिएं।

हम सभी आइडिया और इच्छाएं व्यक्त करते हैं। इनमें से कुछ आइडिया और इच्छाएं काम नहीं करते हैं। इसलिए हमें लोगों के विचारों के प्रति सहानुभूति रखना सीखना है।

लोगों की नैतिक भावना की अपील करें।

सच बात तो यह है कि हम जितने भी लोगों से मिलेंगे वे अपने बारे में निस्वार्थी और अच्छा समझते हैं।

हम सभी दिल से आदर्शवादी होने के कारण, उन वजहों के बारे में सोचना चाहते हैं, जो अच्छे लगते हैं। इसलिए लोगों को बदलने के लिए उनकी अच्छी वजहों की अपील करना सीखे।

अपने आइडियाज को नाटकीय बनाएं।

यह नाटकीय तरीकों का जमाना है। सिर्फ सच बताने से काम नहीं चलता। सच को जीवंत, दिलचस्प और नाटकीय बनाना पड़ता है। हमें शोमैन के गुण दिखाने होंगे। यह काम फिल्में करती है, टेलीविजन करता है और हमें भी करना होगा, अगर हम ध्यान आकर्षित करना चाहते है तो।

चुनौती दे डाले।

लोगों से काम कराने का एक तरीका यह है कि प्रतियोगिता को बढ़ावा दिया जाए। हम सभी आज प्रतियोगिता के आदी हो चुके हैं। क्योंकि हर कोई एक दूसरे से आगे निकलने के तरीके खोज रहा है। इसलिए हमें भी खुद को चुनौती देकर आगे बढ़ाना होगा।

लीडर बनें

तारीफ और सच्ची प्रशंसा से शुरू कीजिए।

हम सभी गलतियां करते हैं। लेकिन उन गलतियों को हमें किस प्रकार से बताया जाता है यह बात बहुत मायने रखती है। लेखक बताते हैं कि अपने बारे में थोड़ी प्रशंसा सुनने के बाद, अपने बारे में कड़वा सुनना ज्यादा आसान हो जाता है।

लोगों की गलतियों पर परोक्ष रूप से ध्यान दिलाया जाए।

कई लोग आलोचना को सच्ची प्रशंसा से शुरू करते हैं और बाद में "लेकिन" शब्द लगाकर आलोचना जोड़ देते हैं, जिसके कारण पूरी बात बिगड़ जाती है। इसलिए “लेकिन” की जगह “और” शब्द का इस्तेमाल करना हमें सीखना होगा।

सीधे आदेश देने के बजाय सवाल पूछें।

हमेशा लोगों को खुद बदलने का मौका दें, कभी भी अपने सहयोगियों को बदलने के लिए ना कहें। उन्हें खुद यह काम करने दे और खुद अपनी गलतियों से सीखने दे।

इस तरह का तरीका, इंसान के लिए गलतियां सुधारना आसान कर देता है।

दूसरे इंसान को इज्जत बचाने दें।

अगर हम सही है और दूसरा इंसान गलत है, हम दूसरे इंसान की इज्जत खराब करके उसके अंहकार को चोट पहुंचाते है।

हमें ऐसा कुछ भी कहने या करने का हक नहीं है जिससे कोई इंसान अपनी नजरों में गिर जाए। इससे फर्क नहीं पड़ता कि हम उसके बारे में क्या सोचते है, बल्कि फर्क इससे पड़ता है कि वह अपने बारे में क्या सोचता है।

छोटी-से-छोटी प्रगति की प्रशंसा करें।

कहते हैं कि जब सच्ची प्रशंसा मिलती है तो काम अपने आप होता है। और मानव स्वभाव के लिए प्रशंसा सूरज की रोशनी की तरह होती है। हम इसके बिना फल-फूल नहीं सकता।

दूसरे इंसान को एक ऐसी प्रतिष्ठा दें, जिसके अनुरूप वह रह सके।

किसी व्यक्ति को खुश करने के लिए प्रशंसा करने से अच्छा है कि उस व्यक्ति की उस काम के लिए प्रशंसा की जाए, जिस काम को करने की उसकी इच्छा है या वह करने की इच्छा रखता है।

प्रोत्साहन का सहारा लें।

ऐसा महसूस कराए की गलती आसानी से सुधर सकती है।

कभी-कभी हम गलतियों को इस प्रकार से बताते हैं कि गलतियां कभी ठीक ही नहीं हो सकती। ऐसा नहीं है अधिकांश गलतियां हम ठीक कर सकते हैं। हां यह भी सच है कि हम कुछ गलतियां ठीक नहीं कर सकते।

हम जिन गलितयों को ठीक नहीं कर सकते उनसे हम सीख सकते है, या उसका बेहतर पक्ष खोज सकते है।


End

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