13 Things Mentally Strong People Dont Do बुक बताती है कि सफल होने के लिए मानसिक रूप से मजबूत लोग अपने कार्यों में सफल होने तक टिके रहते है, और हम भी यह मानसिकता अपना सकते है।
लेखिका Amy Morin द्वारा लिखित 13 Things Mentally Strong People Dont Do बुक में हम अपनी मानसिक आदतों के बारे में जानेंगे। यह बुक हमें बताती है कि सफलता के लिए मानसिक रूप से मजबूत बनना जरुरी है ताकि हम जीवन की परेशानियों के सामने हार न मान ले। यह बुक हमें उन आदतों के रहस्य बताती है जो मानसिक रूप से मजबूत लोग फॉलो करते हैं।
मानसिक रूप से मजबूत होने का मतलब केवल इतना है कि हम जो काम करना चाहते है उसे बाधाओं को पार करते हुए पूरा कर सकें।
पछतावे में समय नहीं गंवाते
जो लोग मानसिक रूप से मजबूत होते हैं, वे पछतावे में समय नहीं गंवाते। वे खुद को दोषी ठहराने की बजाय आगे बढ़ने पर ध्यान देते हैं।
आत्म-दया एक नशे की तरह होती है, जो थोड़ी देर के लिए सुकून देती है और हमें हकीकत से दूर कर देती है। बार-बार अपने दुखों पर सोचते रहना, आत्म-विनाश की ओर ले जा सकता है।
तनाव के समय हमें समाधान पर काम करना है, न कि आत्म-दया में डूब जाना है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने विचारों पर ध्यान दें और नकारात्मक सोच को पहचानकर उसे बदलने का प्रयास करें।
अपनी भावनाओं का दूसरों को अधिकार नहीं देते
मानसिक रूप से मजबूत लोग, खुद की भावनाओं के साथ खेलने का अधिकार किसी को नहीं देते है।
जब हम अपने दुश्मनों से नफरत करते हैं तो हम उन्हें अपने ऊपर अधिकार दे रहे हैं अपनी नींद का, भूख का, स्वस्थ का और हमारी खुशी का।
लोगों को यह नियंत्रण करने की शक्ति देना, कि हम कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और व्यवहार करते हैं मानसिक रूप से मजबूत होना असंभव बनाता है।
अपनी भावनाओं पर ध्यान दे कि वे कैसे हमारे और लोगों के विचारों पर प्रतिक्रिया करती है। और अपने लिए वे तरीके भी खोजे, जिन पर हमारी भावनाओं को बेहतर प्रतिक्रिया मिलती है।
बदलावों को अपनाने से नहीं डरते
ऐसा नहीं है कि कुछ लोगों में इच्छा शक्ति मजबूत होती है और कुछ में नहीं, फर्क इस बात से पड़ता है कि कुछ लोग बदलाव के लिए तैयार है और कुछ नहीं।
यह कहना आसान होता है कि हम बदलाव चाहते हैं पर सफलतापूर्वक बदलाव करना कठिन होता है। क्योंकि हमारे विचार और भावनाएं अक्सर हमारे व्यवहार को बदलाव से रोकती है, भले ही इससे हमारे जीवन में सुधार हो रहा हों।
जब हम छोटे बदलावों को अपनाने का अभ्यास करते हैं तो हम अपने रास्ते में आने वाली परिथितियों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार होते है। इसलिए यह जरुरी है कि परिवर्तन करने के अपने तरीकों पर ध्यान दें।
हर चीज को नियंत्रित नहीं करते
हम अपने साथ होने वाली सभी घटनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकते है। पर हम प्रभावित होंगे या नहीं, का निर्णय लेना हमारे ही हाथ में होता हैं।
सब कुछ नियंत्रण में रखना, हमें बहुत सुरक्षित महसूस करवा सकता है। और यह सोचना कि हम हमेशा नियंत्रण रख सकते है, यह हमारे लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है।
जब हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि दुनिया में क्या गलत हो रहा है। बिना यह देखें कि हमारा सोचने और काम करने का तरीका कैसा है और उन पर हमारा कितना नियंत्रित हैं? तो हम खुद को गलत और परेशानियों में फसा हुआ पाते हैं।
लेखिका हमें बताती है कि किसी तूफान को रोकने की कोशिश करना अपनी ऊर्जा बर्बाद करना है। इसके बजाय हमें इस बात पर ध्यान देना है कि हम इसके लिए क्या तैयारी कर सकते हैं?
हर किसी को खुश नहीं करते
दूसरे लोग क्या सोचते हैं, अगर हम इसकी परवाह करेंगे तो हम हमेशा दूसरों के गुलाम रहेंगे।
जिस प्रकार लोगों को यह नियंत्रित करने देने की अनुमति देना कि हम कैसा महसूस करते हैं, यह हमें नियंत्रण की भावना देता है। ठीक इसी प्रकार लोगों को खुश करने का मतलब यह है कि यह नियंत्रित करना, कि दूसरे लोग कैसा महसूस करते हैं?
लेखिका हमें बताती है कि हमारे जीवन के कुछ क्षेत्र ऐसे हो सकते हैं जहां हम अपने जीवन मूल्यों के अनुसार व्यवहार करते है, और कुछ क्षेत्रों में हम लोगों को खुश करने के बारे में चिंतित रहते हों।
हमें उन संकेतों को पहचानना है, जो हमारा जरुरी काम छोड़कर दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करते है। क्योंकि हम कुछ भी करे, हमेशा कुछ लोग खुश होंगे और कुछ दुखी, इसलिए ना कहना हमें सीखना होगा।
जोखिम लेने से नहीं डरते
अपने कार्यों के प्रति बहुत डरपोक और संकोची नहीं बनना है। पूरी जिंदगी एक प्रयोग है, हम जितने अधिक प्रयोग करें, उतना ही अच्छा है।
हम अपने जीवन में हर पल कई जोखिमों का सामना करते हैं जिसमें फाइनेंसियल, शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और व्यावसायिक रिस्क शामिल है।
हम उन जोखिमों से बचते रहते हैं जो हमें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं। और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम रिस्क लेने से डरते हैं।
लेखिका हमें बताती है कि हमें इस बात पर ध्यान देना है कि हम किस प्रकार के रिस्क ले रहे है और उन रिस्क को लेने से हम कैसा महसूस करते हैं? साथ ही हमें यह भी देखना है कि हम किस प्रकार के अवसर पर काम कर रहे है और किसे छोड़ रहे हैं?
बीती बातों को नहीं दोहराते
हम अतीत को सोच कर ठीक नहीं कर सकते, पर हम वर्तमान में पूरी तरह जीकर, अतीत को ठीक कर करते हैं।
कभी-कभी हम उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करके दुखी होते रहते है, जो वर्षों पहले हुई थी, जबकि सफल लोग पिछले सप्ताह जो हुआ था उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और उन घटनाओं से सिखने का प्रयास करते है।
लेखिका बताती है कि अतीत में फंसे रहने से हम भविष्य का आनंद नहीं ले सकते। इसलिए यह जरुरी है कि हम उन समय और कामों को पहचाने, जो हमें अतीत की याद दिलाते है। और अपनी भावनाओं को ठीक करने के लिए आवश्यक कदम उठाए, ताकि हम आगे बढ़ सकें।
एक जैसी गलतियाँ बार-बार नहीं दोहराते
एकमात्र वास्तविक गलती वह है जिससे हम कुछ नहीं सिखते।
अधिकतर समय हम यह सोचकर काम करते है कि हम जो कर रहे है वह सही है। अगर उनमें गलतियां होती है तो हम दूसरों को दोष देते है। यह भावना हमें गलतियों से सीखना असंभव बना देती है।
लेखिका हमें बताती है कि गलतियां करना इंसान होने का प्रमाण है। इससे पता चलता है कि हम कुछ नया करने की कोशिश कर रहे है।
क्योंकि जो लोग अपनी पुरानी आदतों पर चलते है उनसे गलतियों की उम्मीद नहीं की जाती। और जो बदलाव चाहते है वे ही गलतियां करते और उनमें सुधार करके आगे बढ़ते हैं।
किसी समस्या को हल करने के लिए अनेक तरीके होते हैं। यदि हमारी वर्तमान योजना सफल नहीं होती है तो कुछ नया आजमाने के लिए तैयार रहे।
दूसरों की सफलता से नाराज़ नहीं होते
जलन एक जहर है जिसे हम खुद पी रहे है, और यह आशा कर रहे है कि हमारा दुश्मन मर जाएंगा।
लेखिका के अनुसार, ईर्ष्या को इस प्रकार बताया जाता है कि मुझे वह चाहिए जो आपके पास है। और किसी की सफलता पर नाराजगी, इससे भी आगे बढ़ती है। वह बताती है कि मैं वह चाहता हूं जो आपके पास है और मैं नहीं चाहता कि आपके पास वह हो।
जब हम वास्तव में अच्छा कर रहे होते हैं तो दूसरों के प्रति नाराजगी महसूस करने से बचना आसान होता है। जीवन में कई बार ऐसा भी होता है कि हमें सफलता के लिए संघर्ष करना पड़ता है तब दूसरों की सफलता को देखकर नाराज न होना कठिन हो जाता है।
जब हम अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हो, जबकि हमारे आसपास के लोग अपने लक्ष्य तक पहुंचकर खुशियाँ मना रहे हो। तब अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है।
असफलता के बाद भी हार नहीं मानते
असफलता, सफलता की प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जो लोग असफलता से बचते हैं, सफलता उनसे।
कुछ लोग पहली बार प्रयास करने के बाद असफल हो जाते है, यह एक साधारण बात है। अपनी असफलता को स्थायी मानना, यह हमें दूसरे प्रयास करने और दूसरी बार में सफलता हासिल करने से रोकती है।
अपने जीवन के उन क्षेत्रों की पहचान करना है, जहां असफलता के बाद हार मानने की संभावना अधिक हो। और इस बात पर गौर करें कि हम अपनी असफलताओं से कैसे सीख सकते है।
यह भी याद रखें कि अगर हम असफल होने के बाद भी दोबारा प्रयास करने के आदी नहीं है, तो शुरुआत में अपने डर से सामना करना मुश्किल हो सकता है।
अकेले समय बिताने से नहीं डरते
मनुष्य के सभी दुखों का कारण, अकेले कमरे में चुपचाप न बैठना हैं।
अकेले समय बिताना अधिकांश लोगों को अच्छा नहीं लगता। बड़ी सफलता के लिए हमें अकेलेपन की आवश्यकता होती है ताकि हम खुद को समझ सके और अपनी गलतियों पर विचार कर सकें।
जो लोग सोचते है कि अपने बारे में सोचना स्वार्थी है या अकेले बैठना समय की बर्बादी है। वे लोग गलत भी हो सकते है क्योंकि अधिकांश सफल लोगों ने अपने सफलता के रहस्य अकेले समय बिताकर ही प्राप्त किये हैं।
अपने बारे में सोचने के लिए हमें किसी मोबाइल फ़ोन, किताब या किसी दूसरे व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती हैं। इसलिए अपने बारे में सोचने के लिए ऐसा कुछ समय अवश्य निकाले ताकि हम खुद को बेहतर बना सकें।
उन्हें नहीं लगता कि दुनिया पर उनका कुछ कर्ज है
यह मत कहते फिरे कि दुनिया हमारी जीविका का कर्जदार है दुनिया को हमसे कुछ नहीं चाहिए।
ऐसा नहीं है कि दुनिया हमारे बिना चल नहीं सकती या हम जो काम करते है उससे ही दुनिया चलती है। इस संसार में एक से बढ़कर एक व्यक्ति हुए है। उनके समय में दुनिया सोचती थी कि इनके बिना दुनिया का क्या होगा। हम सभी देख सकते है कि आज दुनिया कैसी चल रही है।
लेखिका के अनुसार, मानसिक रूप से मजबूत लोग यह नहीं सोचते की दुनिया पर उनका कुछ बकाया है, बल्कि वे दुनिया को देने के बारे में सोचते है।
तत्काल परिणाम की उम्मीद नहीं करते
धैर्य, लगन और पसीना मिलकर सफलता के लिए एक अपराजित कनेक्शन बनाते हैं।
हम एक लगातार बदलती दुनिया में रहते हैं, जहां हमें सब कुछ तुरंत नहीं मिलता, चाहे हम खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते है या पैसे कमाना। अगर हम तत्काल परिणाम की उम्मीद करते है तो हम अक्सर असफलता ही हासिल करेंगे।
लेखिका बताती है कि अगर हम डॉक्टर की चेतावनी के बाद भी अपना पसंदीदा भोजन नहीं छोड़ते है तो परिणाम कुछ भी हो सकता है। इसिलए हमें अपने जीवन के उन क्षेत्रों की तलाश करनी होगी, जहां हमें सुधार की आवश्यकता है।